- बुजुर्ग माता-पिता को 3 साल बाद मिला अपना घर
- बुजुर्गों के हित के लिए साल 2007 में बने कानून ने दिलाया अधिकार
- छोटे बेटे और बहू पर था दोनों को बेघर करने का आरोप
मुम्बई के बोरीवली में अपने बुजुर्ग मां-बाप को घर से निकाल देने की ऐसी कहानी सामने आई है, जिसमें छोटा बेटा और बहू विलेन साबित हुए. 3 साल की मेहनत के बाद बुजुर्गों के हक में बने कानून की मदद से बूढ़े मां-बाप को अपना घर तो मिला. लेकिन हैरानी की बात है कि पड़ोसियों की नजर में बेटे और बहू नहीं बुजुर्ग ही गलत हैं. बोरीवली पश्चिम में स्टेशन के पास रहने वाले इस बुजुर्ग दंपत्ति को 3 साल बाद अपने घर का कब्जा मिला है. 2007 में बने मेंटिनेंस ऐंड वेलफेयर ऑफ पैरंट्स ऐंड सीनियर सिटीजंस ऐक्ट की वजह से ऐसा संभव हो सका. 70 साल के बृजेश सोनी और 68 साल की चमेली देवी सोनी के मुताबिक उन्हें बेघर करने वाला कोई और नहीं उनके अपने ही छोटे बेटे और बहू थे.
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बुजुर्ग की 3 बेटियां और 2 बेटे हैं. चाय की दुकान के साथ चाल में एक और घर है. मां बताती है कि दोनों बेटों को वो घर देकर छोटी बेटी के साथ इस छोटे से मकान में रहते थे लेकिन बहू ने साजिश कर इस पर भी कब्जा जमा लिया. दोनों दिन में इधर-उधर भटकते थे, फिर रात में बड़े बेटे और बेटी खाना और आसरा देते. लेकिन हैरानी की बात है कि जब एनडीटीवी इस बुजुर्ग दंपत्ति के संघर्ष और न्याय की कहानी के बारे में पता करने के लिये वहां पहुंचा तो पड़ोसियों ने घेर लिया और बुजुर्ग दंपति पर ही बेटे और बहू पर अन्याय करने का आरोप लगाया.
इस कहानी में वैसे तो पुलिस की सीधे कोई भूमिका नहीं है, लेकिन बुजुर्ग दंपत्ति को घर का कब्जा दिलाते वक्त अड़ंगा डालने के लिए बेटे और बहू को गिरफ्तार कर जेल भेजना पड़ा. पुलिस का कहना है कानूनी आदेश मिलने के बाद भी कब्जा लेने में बुजुर्ग दंपति को साल भर का समय लग गया. मामला संबंधित विभाग के मंत्री तक गया था. अगर बेटे के पास कोई सबूत होता तो उसके पास अपील करने के लिए काफी समय था.
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