
- बीएमसी ने डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर शरद उघाडे को सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रभार से हटा दिया है
- विजिलेंस विभाग ने टेंडर में 25 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं की रिपोर्ट सौंपी थी, कार्रवाई नहीं हुई थी
- टेंडर की शर्तें कुछ खास विक्रेताओं को फायदा पहुंचाने के लिए बदली गई थी
बीएमसी के आईटी विभाग से डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर शरद उघाडे को हटा दिया गया है. उनपर 25 करोड़ रुपये की टेंडर गड़बड़ी पर कार्रवाई न करने का आरोप है. बीएमसी ने अपने डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर (DMC) शरद उघाड़े को सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रभार से हटा दिया है.
अतिरिक्त आयुक्त अश्विनी जोशी ने बताया कि विजिलेंस विभाग ने इस टेंडर में वित्तीय अनियमितताओं की रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन शरद उघाडे ने इस पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की, जिस कारण उन्हें IT विभाग से हटाने का फैसला लिया गया है.
विजिलेंस रिपोर्ट में कहा गया है कि टेंडर की शर्तें कुछ खास विक्रेताओं को फायदा पहुंचाने के लिए बदली गई थीं और इसमें बीएमसी के IT मैनेजर और सलाहकारों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई, जिनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई थी.
सामाजिक कार्यकर्ता संतोष दौंडकर ने यह आरोप लगाया कि IT विभाग में वर्षों से गैर-तकनीकी और इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले अफसरों को आईटी मैनेजर जैसे पदों पर तैनात किया गया है, और इस पूरे विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की जांच होनी चाहिए.
अतिरिक्त आयुक्त अश्विनी जोशी ने यह भी स्पष्ट किया कि 'DMC IT विभाग' जैसा कोई आधिकारिक पद बीएमसी में अस्तित्व में नहीं है और अब से IT विभाग उनके सीधे नियंत्रण में रहेगा, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके.
उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि बीएमसी में आईटी विभाग से जुड़े सभी पुराने टेंडर और खरीद प्रक्रियाओं की निष्पक्ष जांच किसी वरिष्ठ IAS अधिकारी के नेतृत्व में करवाई जानी चाहिए, ताकि जनता के पैसों की बर्बादी रोकी जा सके.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं