
बसपा प्रमुख मायावती. (फाइल फोटो)
रायपुर:
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के हाथ को झटककर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का साथ थामा है. तय हुआ है कि विधानसभा की 90 सीटों में बसपा 35 और जनता कांग्रेस पार्टी 55 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. ऐसे में बड़ा सवाल है कि नए गठबंधन से क्या छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटों का समीकरण बदलेगा? राज्य में अभी कुल 11 लोकसभा और 5 राज्यसभा की सीटें हैं. छत्तीसगढ़ में 27 जिले हैं. राज्य विधानसभा में 51 सीट सामान्य, 10 सीट एससी और 29 सीट एसटी के लिए आरक्षित है.
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अजीत जोगी और बसपा प्रमुख मायावती.
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से कांग्रेस और बीजेपी के बीच दोतरफा मुकाबला ही देखता रहा है. लेकिन 2016 में अजित जोगी को पार्टी से निकाले जाने और नई पार्टी बनाने के बाद इस बार मुकाबला वैसे भी त्रिकोणीय होने की उम्मीद थी. पिछले चुनावों में राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कुल वोटों का फासला महज़ 98,000 था. 2013 में बीएसपी ने राज्य की सभी 90 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन विधायक बना पाई थी सिर्फ जैजैपुर से, बावजूद उसे 4.4 फीसद वोट मिले थे. पांच सीटें ऐसी थीं जहां से पार्टी ने 20 फीसद वोट हासिल किये थे.
VIDEO : छत्तीसगढ़ में जोगी-मायावती साथ-साथ लड़ेंगे चुनाव
सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कांग्रेस बीएसपी को 7 सीटें से ज्यादा देने को तैयार नहीं थी. इसलिए पार्टी ने अलग विकल्प चुना. कांग्रेस-बीजेपी दोनों अजीत जोगी को ज्यादा भाव देने के मूड में नहीं थे. बीजेपी को लगता था कि जोगी कांग्रेस का वोट काटेंगे. वहीं कांग्रेस अजीत जोगी को चुका कारतूस मानती है, लेकिन नए समीकरण से जानकार कह रहे हैं कि कांग्रेस को नुकसान हो सकता है.
बता दें कि छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में जुटे हुए हैं. एक तरफ जहां बीजेपी वर्तमान मुख्यमंत्री रमन सिंह के नेतृत्व में ही विधानसभा का चुनाव लड़ेगी, वहीं कांग्रेस ने अब तक सीएम पद के उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है.

छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से कांग्रेस और बीजेपी के बीच दोतरफा मुकाबला ही देखता रहा है. लेकिन 2016 में अजित जोगी को पार्टी से निकाले जाने और नई पार्टी बनाने के बाद इस बार मुकाबला वैसे भी त्रिकोणीय होने की उम्मीद थी. पिछले चुनावों में राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कुल वोटों का फासला महज़ 98,000 था. 2013 में बीएसपी ने राज्य की सभी 90 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन विधायक बना पाई थी सिर्फ जैजैपुर से, बावजूद उसे 4.4 फीसद वोट मिले थे. पांच सीटें ऐसी थीं जहां से पार्टी ने 20 फीसद वोट हासिल किये थे.
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सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कांग्रेस बीएसपी को 7 सीटें से ज्यादा देने को तैयार नहीं थी. इसलिए पार्टी ने अलग विकल्प चुना. कांग्रेस-बीजेपी दोनों अजीत जोगी को ज्यादा भाव देने के मूड में नहीं थे. बीजेपी को लगता था कि जोगी कांग्रेस का वोट काटेंगे. वहीं कांग्रेस अजीत जोगी को चुका कारतूस मानती है, लेकिन नए समीकरण से जानकार कह रहे हैं कि कांग्रेस को नुकसान हो सकता है.
बता दें कि छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में जुटे हुए हैं. एक तरफ जहां बीजेपी वर्तमान मुख्यमंत्री रमन सिंह के नेतृत्व में ही विधानसभा का चुनाव लड़ेगी, वहीं कांग्रेस ने अब तक सीएम पद के उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है.
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