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This Article is From Jul 09, 2019

मध्य प्रदेश : कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों के नाम पर बीमा रकम में करते थे फर्जीवाड़ा, पुलिस ने पकड़ा

मध्यप्रदेश के धार में पुलिस ने ऐसे गिरोह का भांडाफोड़ किया है जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे, मृत लोगों के नाम पर बीमा की रकम का फर्जीवाड़ा करते थे.

मध्य प्रदेश : कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों के नाम पर बीमा रकम में करते थे फर्जीवाड़ा, पुलिस ने पकड़ा
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी.
भोपाल:

मध्यप्रदेश के धार में पुलिस ने ऐसे गिरोह का भांडाफोड़ किया है जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे, मृत लोगों के नाम पर बीमा की रकम का फर्जीवाड़ा करते थे. गिरोह के सदस्य मृत व्यक्तियों के नाम से हादसे की फर्जी रिपोर्ट बनाकर बीमा कंपनियों से करोड़ों का क्लेम निकाल लेते थे. पुलिस ने गिरोह के 10 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें वकील और सरकारी डॉक्टर तक शामिल हैं. ये गिरोह बीमारी या वृद्धावस्था के कारण वृद्ध और सामान्य रूप से बीमार व्यक्तियों की मृत्यु के कुछ सप्ताह बाद फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र यह स्थापित करने के लिए बनाता था कि संबंधित व्यक्ति की मृत्यु प्राकृतिक नहीं है, बल्कि दुर्घटना में उनका निधन हो गया. 

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धार जिले के पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह ने कहा, "अब तक दो मामले दर्ज किए गए हैं, दस लोग इस गिरोह का हिस्सा हैं, जिनमें वकील (जो गिरोह का सरगना है) और एक सरकारी डॉक्टर (जिसने जांच रिपोर्ट तैयार की थी). इस प्रकरण में सामने आया कि कैसे 70 साल के कैंसर मरीज़ (जो 10-12 एकड़ भूमि का मालिक था) की जनवरी में मृत्यु हो गई और संबंधित ग्राम पंचायत ने फरवरी में प्रमाणित किया कि मृत्यु प्राकृतिक मौत थी. लेकिन जनवरी में कैंसर के रोगी की मृत्यु होने से पहले, बुजुर्ग व्यक्ति के रिश्तेदारों के साथ मिलकर गिरोह ने उनके नाम पर जेसीबी मशीन, 4 चार पहिया वाहन, दो ट्रैक्टर और दो बाइक बैंकों से कर्ज़ लेकर खरीदे, उनकी मृत्यु के कुछ महीने बाद गिरोह ने एक अलग ग्राम पंचायत के माध्यम से एक नया मृत्यु प्रमाण पत्र लिया, जिसमें उन्हें 40 से अधिक आयु का दिखाया गया और बताया गया कि मौत आकस्मिक थी.  

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चूंकि मौत आकस्मिक थी इसलिये फाइनेंस कंपनी को कोई किश्त नहीं चुकानी पड़ी, गाड़ियां घरवालों के पास रहीं और कंपनी को करोड़ों का नुकसान हुआ. एक अन्य मामले में, एक बुजुर्ग महिला के नाम पर ऑनलाइन बीमा पॉलिसी खरीदी गई, उनकी मृत्यु के बाद नकली शव परीक्षण रिपोर्ट की मदद से एक नकली मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार किया गया था जिसमें मृतक को मध्यम आयु वर्ग के रूप में दिखाया गया था और बताया गया कि उनकी मौत दुर्घटना में हुई. इसके बाद, जीवन बीमा दावे के रूप में 37 लाख रुपये लिये गये, जिसमें से 80,000 रुपये महिला के बेटे को उसकी छोटी ज़मीन पर ड्रिप सिंचाई के लिए दिए गए. 

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गिरफ्तार गिरोह के सदस्यों की जाँच और पूछताछ के दौरान यह भी पता चला है कि वे फर्जी आधार, आयकर रिटर्न (आईटीआर), पैन कार्ड, शव परीक्षण रिपोर्ट और मृत्यु प्रमाण पत्र के माध्यम से धोखाधड़ी के ऐसे चार से पांच और मामलों में शामिल हैं। आदित्य सिंह ने दावा किया कि अब तक की जांच से पता चलता है कि इस गिरोह ने अबतक बीमा और फाइनेंस कंपनियों को दो से तीन करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है.

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