मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)
भोपाल:
शुक्रवार का दिन मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष करने की घोषणा की. मुख्यमंत्री चौहान ने प्रेस से मिलिये कार्यक्रम में यह घोषणा की. चौहान ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय में पदोन्नति में आरक्षण का मामला विचाराधीन होने के कारण प्रदेश सरकार के कर्मचारी और अधिकारी पदोन्नत नहीं हो पा रहे हैं. हम नहीं चाहते हैं कि कर्मचारी बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हों, इसलिये कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष करने का निर्णय लिया है.’’ प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण का मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन होने से सभी वर्ग के कर्मचारियों की पदोन्नति रुक गई है. इस सवाल पर मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि शीर्ष अदालत से इस मामले में दो साल के अंदर फैसला हो जायेगा तब प्रदेश के संबंधित कर्मचारियों को पदोन्नति दी जा सकेगी.
इस बीच कांग्रेस ने प्रदेश के पढ़े लिखे बेरोजगार युवकों को बेरोजगारी भत्ता देने की मांग की. इसके अलावा बेरोजगार युवकों के एक संगठन ने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा बढ़ाने की मुख्यमंत्री की घोषणा के खिलाफ कानूनी सहायता लेने की बात कही है. मालूम हो कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने गत मई में प्रदेश के एसटी/एससी वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण को रद्द करने का निर्णय दिया था.
प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की. इसके बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है. इसके बाद से ही प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं हो पा रही है. इस बीच कांग्रेस ने मांग की है कि प्रदेश सरकार को शिक्षित बेरोजगारों को 2000 रुपये प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता देना चाहिये.
VIDEO: सरकार ने डॉक्टरों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाई
मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा, ‘‘सेवानिवृत्ति की आयु सीमा बढ़ाने के निर्णय से प्रदेश के कर्मचारियों का कोई भला नहीं होने वाला है. दूसरी ओर इससे प्रदेश के युवा कर्मचारी पदोन्नति हासिल करने से वंचित होंगे.’’ सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार को ठेका कर्मचारियों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिये, जो कि प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. मध्यप्रदेश में लगभग पांच लाख सरकारी कर्मचारी हैं.
(इनपुट भाषा से...)
इस बीच कांग्रेस ने प्रदेश के पढ़े लिखे बेरोजगार युवकों को बेरोजगारी भत्ता देने की मांग की. इसके अलावा बेरोजगार युवकों के एक संगठन ने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा बढ़ाने की मुख्यमंत्री की घोषणा के खिलाफ कानूनी सहायता लेने की बात कही है. मालूम हो कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने गत मई में प्रदेश के एसटी/एससी वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण को रद्द करने का निर्णय दिया था.
प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की. इसके बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है. इसके बाद से ही प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं हो पा रही है. इस बीच कांग्रेस ने मांग की है कि प्रदेश सरकार को शिक्षित बेरोजगारों को 2000 रुपये प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता देना चाहिये.
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मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा, ‘‘सेवानिवृत्ति की आयु सीमा बढ़ाने के निर्णय से प्रदेश के कर्मचारियों का कोई भला नहीं होने वाला है. दूसरी ओर इससे प्रदेश के युवा कर्मचारी पदोन्नति हासिल करने से वंचित होंगे.’’ सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार को ठेका कर्मचारियों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिये, जो कि प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. मध्यप्रदेश में लगभग पांच लाख सरकारी कर्मचारी हैं.
(इनपुट भाषा से...)
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