छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेना शुरू कर दिया गया है. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों विशेषकर बस्तर अंचल के अनुसूचित जनजाति वर्ग के निवासियों और ग्रामीणों के उत्पीड़न पर चिंता व्यक्त करते हुए उनके खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज मामलों की समीक्षा करने का निर्णय लिया था. अब इन मामलों को वापस लेने का काम शुरू कर दिया गया है.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्य प्रशासन ने इस वर्ष आठ मार्च को उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए के पटनायक की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समीक्षा समिति का गठन किया था. समिति की अनुशंसा के आधार पर छत्तीसगढ़ सरकार के विधि और विधायी कार्य विभाग ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के निवासियों के खिलाफ दर्ज मामलों की समीक्षा के बाद अभियोजन वापस लेने का निर्णय लिया है.
राज्य सरकार की विज्ञप्ति में बताया गया है कि न्यायमूर्ति पटनायक की अध्यक्षता में गठित समिति की पहली बैठक इस वर्ष 24 अप्रैल और द्वितीय बैठक 30-31 अक्टूबर को हुई जिसमें लिए गए निर्णय के अनुरूप छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम के तहत दर्ज 313 मामलों को वापस लेने की अनुशंसा विधि विभाग को भेजी जा चुकी हैं.
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