बेमौसम बरसात ने इस बार किसानों को खूब परेशान किया है. उत्पादन कम होने के साथ ही दाम भी कम मिल रहे हैं. इससे किसानों की लागत भी नहीं निकल रही है. पानी लगने से फसलों की रंगत और क्वॉलिटी दोनों पर असर पड़ा है. इस वजह से कहीं प्याज को नाली में फेंकने और कहीं मुफ्त में बांटने की खबरें आ रही हैं.
खंडवा नगर निगम के सामने भेरूखेड़ा के किसान घनश्याम ने प्याज का ढेर लगाया और मुफ्त में बांट दिया. प्याज मुफ्त में बांटने से पहले घनश्याम मंडी पहुंचे थे. वहां प्याज एक से तीन रुपये प्रति किलो बिक रही थी. घनश्याम का कहना है कि, ''लागत ही लगभग छह रुपये प्रति किलो है. घनश्याम ने कहा, मंडी में 20-25 कट्टे लेकर आ गया, बांट दिया. एक एकड़ में 80000 रुपये की लागत है, एक रुपये की भी प्याज नहीं बेची.''
किसान कमलेश पटेल ज्यादा नाराज थे, तो उन्होंने अपनी उपज नाले में फेंक दी. कमलेश पटेल ने कहा, ''प्याज रुला रही है, खेतों में सड़ रही है, भेड़ बकरी खा रही हैं. बहुत ज्यादा नुकसान है. मंडी में एक रुपये किलो में कुछ हाथ नहीं आ रहा है.''
श्यामपुर के रहने वाले किसान जगदीश की आधी से ज्यादा सब्जियां खेतों में सड़ गईं. फसल तैयार थी तभी बारिश हो गई. उपज इतनी नहीं कि मंडी लेकर जाएं, तो फुटकर ही बेच रहे हैं. परेशान हैं, कीमत मिल नहीं रही है. जगदीश ने कहा, ''मंडी में एक-दो रुपये किलो बिक रही है. खुले में पांच-छह रुपये बेच रहे हैं. पहले 15-20 रुपये में बेचते थे. अब पूरा ही नुकसान है. अभी ये हाल है तो आगे क्या होगा?''
महीने भर पहले मुख्यमंत्री ने प्रभारी मंत्रियों से सर्वे चेक करने और किसानों की मदद करने को कहा था. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि, ''ओला पीड़ित किसान भाईयों को, मेरा आप सभी से आग्रह है मदद करने का, वैसे तो प्रशासन लगा हुआ है लगभग 70 हजार हेक्टेयर में नुकसान हुआ है 64 करोड़ रुपये की राहत राशि अभी तक आ रही है और कुछ जगह 4-5 जिलों का अभी नहीं आया है. लेकिन प्रभारी मंत्री के नाते आप जिन जिलों में ओले गिरे हैं, एक बार खुद आप चेक कर लें, जांच कर लें. इसमें कहीं कोई कसर नहीं छोड़ना है, किसानों की मदद करने में.''
बीते सालों की तुलना में किसानों की फसल के भाव तो वही हैं, लेकिन लागत कई गुना बढ़ गई है. पहले बीज 500 रुपये किलो मिल जाता था अब 1500-2000 रुपये प्रति किलो है. मजदूरी 100 रुपये रोजाना से बढ़कर 400-500 रुपये हो गई है. चौपाई, निंदाई, कटाई, छंटाई सब में मजदूरों की जरूरत है. बिजली, खाद, कीटनाशक सबके दाम बढ़ गए हैं.
केंद्र सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन प्याज की खेती करने वाले किसानों की आय 20 साल से वही है. हां लागत जरूर चार गुना हो चुकी है. पहले एक बीघा जमीन में 100 से 125 क्विंटल प्याज निकलती थी, अब 50 से 60 क्विंटल ही प्याज निकल रही है. केरल की तर्ज पर मध्य प्रदेश ने भी कुछ फल-सब्जियों पर एमएसपी की बात कही थी, लेकिन वह भी फाइलों में ही है.
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