मध्यप्रदेश राज्य लोड डिस्पेच सेंटर जबलपुर पावर सेक्टर में सायबर क्राइसिस प्रबंधन योजना लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के प्रबंध संचालक सुनील तिवारी ने जानकारी दी कि केन्द्र शासन के निर्देश पर मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर के इंजीनियरों ने विशेषज्ञ सलाहकारों की मदद लिए बिना इनहाऊस यह सायबर क्राइसिस प्रबंधन योजना तैयार की है. इस योजना का अनुमोदन भारत सरकार की कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT India) द्वारा करवाकर इसे लागू किया गया है. यह पावर सेक्टरों में सायबर अटैक को रोकने अंतरराष्ट्रीय स्तर की एक कारगर प्रणाली है. यह लोड डिस्पेच सेंटर में स्थापित सभी कम्प्यूटर प्रणालियों की सायबर सुरक्षा से संबंधित है.
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है, जिसके लोड डिस्पेच सेंटर को आईएसओ 27001 द्वारा प्रमाणित भी किया गया है. यह सर्टिफिकेट सायबर सिक्योरिटी के अनुपालन के लिए प्रदाय किया जाता है.
इस प्रणाली को लागू करने का लाभ यह है कि मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी का समूचा सिस्टम बाहरी सायबर अटैक से सुरक्षित रहेगा और कोई भी हैकिंग या वायरस के माध्यम से प्रदेश की बिजली प्रणाली में छेड़छाड़ नहीं कर पाएगा. मालूम हो कि गत वर्ष मुंबई की बिजली प्रणाली इस सायबर अटैक का शिकार हुई थी, जिसके कारण मुंबई में घंटों विद्युत व्यवधान रहा था. इस घटना के बाद ही समूचे देश के पावर सेक्टरों को इस तरह की सायबर सुरक्षा तैयार करने के निर्देश केन्द्र शासन द्वारा दिए गए थे.
मध्यप्रदेश के लिए यह गौरव की बात है कि भारत में पावर सेक्टर को विभिन्न दिशा निर्देश देने वाली संस्था पोसोको (पावर सिस्ट्म ऑपरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड) और इनफार्मेशन सुरक्षा से संबंधित राष्ट्रीय नोडल एजेंसी एनसीआईआईपीसी (नेशनल क्रिटिकल इनफार्मेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर) ने मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के द्वारा तैयार किए इस प्रबंधन योजना को पहले परीक्षण में ही अनुमोदन प्रदान कर इस प्रणाली के पावर सिस्टम संबंधित सभी प्रस्तावों को स्वीकार किया है. यह प्रणाली राज्य लोड डिस्पेच सेंटर जबलपुर के मुख्य अभियंता केके प्रभाकर एवं अधीक्षण अभियंता राजेश गुप्ता के प्रयास से ही संभव व तैयार हो पाई.
इससे पूर्व मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के लोड डिस्पेच सेंटर जबलपुर को एबीटी मीटरिंग प्रणाली (उपलब्धता आधारित शुल्क प्रणाली) एवं स्काडा सिस्टम लागू करने वाले देश के पहले पावर यूटिलिटी का दर्जा भी प्राप्त हो चुका है.
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