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This Article is From Jun 09, 2022

बेशर्म व्‍यवस्‍था! बच्‍ची का शव ले जाने को नहीं मिला वाहन, कंधे पर लादकर पैदल चलने को मजबूर हुए परिजन

बच्ची के परिजन सरकारी व्यवस्था से हार गए. चाचा ने चार साल की मासूम बच्ची का शव सीने से चिपकाया और गांव की ओर पैदल चल दिया.

बच्‍ची के शव को कंधे पर गांव ले जाता हुआ उसका चाचा

भोपाल:

मध्‍य प्रदेश के छतरपुर जिले के बकस्वाहा में एक मासूम को मौत के बाद शव वाहन भी नसीब नहीं हो सका. घटना छतरपुर जिले के पोंडी गांव की है. यहां रहने वाले लक्ष्मण अहिरवार की 4 साल की बेटी राधा को तेज बुखार था. परिजन उसे मंगलवार को बकस्वाहा के अस्पताल लेकर पहुंचे. उसकी स्थिति गंभीर थी, ऐसे में डॉक्टरों ने बच्ची को पड़ोसी जिले दमोह रेफर कर दिया. दमोह के अस्पताल में बच्ची की मौत हो गई.

अस्पताल में शव वाहन नहीं मिला तो पहले दादा ने उसे कंबल से ढका, बस वाले को बिना बताये उसमें बैठे, बक्सवाहा पहुंचे. परिजनों ने बच्ची के शव को चार किलोमीटर दूर पोंडी गांव ले जाने के लिए नगर परिषद से शव वाहन देने की मिन्नतें कीं. इस बीच कई घंटे बीत गए. 

नगर परिषद के अधिकारियों से परिजन कुछ पूछते तो फिर वे आश्वासन दे देते. यह सिलसिला देर तक चला. इतने में मृतक बच्ची के चाचा ने टैक्‍सी और रिक्शा वालों से भी पूछा. लेकिन, सभी ने शव को ले जाने से मना कर दिया. आखिरकार, बच्ची के परिजन सरकारी व्यवस्था से हार गए. चार साल की मासूम बच्ची का शव सीने से चिपकाया और गांव की ओर पैदल चल दिया. कभी दादी, कभी दादा, कभी पिता मासूम का शव गोद में ढककर 45 डिग्री की धूप से बचाते घर लाये.

बच्ची के दादा का कहना है कि दो दिन से बुखार था, यहां दवाई कराई फिर कहा दमोह जाओ. वहां कुछ नहीं मिला मौत के बाद शव वाहन भी नहीं दिया. वहीं, पिता लक्ष्मण ने कहा कि मांगने पर नगर पालिका ने मना कर दिया. कहा कि ऐसे नहीं जाएगी हमारी गाड़ी.

सागर के गढ़ाकोटा में भी अंबेडकर वार्ड के रहने वाले बिहारी को घर में चक्कर आया, परिजन गढ़ाकोटा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया, शव वाहन का इंतजाम नहीं हुआ, निजी वाहनों ने भी मना कर दिया, तब बड़े भाई भगवान ने ठेला जुगाड़ किया और शव घर लाए. बिहारी के भाई भगवानदास ने बताया कि डॉक्टर ने कहा ले जाओ, वाहन की व्यवस्था नहीं हुई.

वहीं खरगोन के भगवानपुरा में गर्भवती शांतिबाई खरते को लेने के लिए एंबुलेंस नहीं पहुंची. परिजन उसे खटिया पर लिटाकर तीन किमी दूर तक पैदल चल दिये, रास्ते में ही मौत हो गई. मौत के बाद भी शव वाहन नहीं मिला, शव खाट पर ही वापस लाना पड़ा.

सरकार ने दावा किया था कि हमने स्वास्थ्य विभाग की सेहत सुधारने के लिए 29 प्रतिशत बजट बढ़ा दिया है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डिजिटल एक्स-रे होगा. सरकारी अस्पतालों को मरम्मत के लिए 263 करोड़ मिलेंगे. 25 हजार की आबादी पर संजीवनी क्लीनिक खुलेगा. वैसे सरकार ने ये नहीं बताया कि 1000 की आबादी पर 1 डॉक्टर होना चाहिए. मध्यप्रदेश में 10 हजार की आबादी पर सिर्फ 4 डॉक्टर हैं.

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