मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल का मंगलवार को गठन हो गया. बीजेपी खेमे से तीन और कांग्रेस से बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के दो करीबियों ने शपथ ली. हालांकि स्टेज पर राज्यपाल लालजी टंडन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और शपथ ग्रहण करने वाले सभी विधायक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते तो दिखे, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह थी कि वह सभी ने स्टेज पर मुंह पर मास्क नहीं लगा रखा था. स्टेट पर बीजेपी से वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, आदिवासी बहुल इलाके उमरिया जिले के मानपुर से विधायक मीना सिंह, हरदा से विधायक कमल पटेल, सिंधिया गुट से तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत मुख्यमंत्री और राज्यपाल के साथ बैठे हैं. सभी ने मास्क नहीं लगाया है.
फिलहाल सभी ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मंत्री पद की शपथ ली. शपथ ग्रहण के बाद नरोत्तम मिश्रा ने केंद्रीय नेतृत्व और सीएम शिवराज को धन्यवाद दिया और कहा उन्हें एक दर्जन विभागों का अनुभव है , जो भी विभाग मिलेगा ईमानदारी से काम करेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि कोरोना के चलते छोटे मंत्रिमंडल का गठन हुआ है. अभी तक मुख्यमंत्री शिवराज टीम मोदी के रूप में काम कर रहे थे, अब हम टीम शिवराज के नेतृत्व में काम करेंगे. हालांकि राज्य में सबसे वरिष्ठ विधायक और लगातार 15 साल मंत्री रहे पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव को पहले चरण में जगह नहीं मिलने से विधायकों की नाराजगी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं.
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— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) April 21, 2020
भार्गव के अलावा भूपेंद्र सिंह, गौरीशंकर बिसेन, विजय शाह, यशोधरा राजे सिंधिया, राजेंद्र शुक्ला और रामपाल सिंह के साथ कांग्रेस से भाजपा में आए बिसाहूलाल सिंह, महेंद्र सिंह सिसोदिया और प्रभुराम चौधरी को फिलहाल वेटिंग लिस्ट में हैं. आपको बता दें कि शिवराज सिंह ने 23 मार्च को राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. कोरोना संकट को देखते हुए उन्होंने अकेले शपथ ली थी. बिना मंत्रिमंडल के ही शिवराज 28 दिन तक काम करते रहे जिसे लेकर विपक्ष ने उनपर कई बार निशाना भी साधा.
230 सदस्यीय विधानसभा में सदस्यों की संख्या के लिहाज से मंत्रिमंडल में अधिकतम 15 प्रतिशत यानी 35 सदस्य हो सकते हैं, जिनमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक फिलहाल विभागों का बंटवारा नहीं होगा, दो संभाग की ज़िम्मेदारी एक मंत्री को दी जा सकती है. 3 मई को मंत्रिमंडल के दूसरे संभावित विस्तार के बाद ही विभागों का बंटवारा हो सकता है.
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