मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार ने दो हजार करोड़ रुपये की लागत से शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा (Shankarcharya statue) स्थापित करने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj singh Chauhan) की अगुवाई में पिछले हफ्ते हुई एक बैठक में यह फैसला लिया गया है. इस बैठक में महामंडलेश्वर आचार्य अवधेशानंद समेत कई प्रमुख संत उपस्थित थे. बैठक में ओंकारेश्वर में स्थापित होने वाली 108 फीट ऊंची शंकराचार्य की प्रतिमा, संग्रहालय और अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान को लेकर चर्चा हुई, इन सब पर हजारों करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी. यह बात और है कि मध्य प्रदेश लाखों करोड़ के कर्ज में डूबा हुआ है. इससे पहले गुजरात 182 मीटर ऊंची स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity)के तौर पर सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा स्थापित की गई थी. उसकी लागत तीन हजार करोड़ रुपये से ज्यादा थी.
मध्य प्रदेश में 'स्टैच्यू ऑफ वननेस' (Statue of Oneness) की लागत 2000 करोड़ से ज्यादा होगी. यह प्रतिमा 54 फीट ऊंचे प्लेटफार्म पर स्थापित होगी. प्रोजेक्ट वर्ष 2023 तक पूरा होगा. गौरतलब है कि 9 फरवरी 2017 को संग्रहालय बनाने का ऐलान हुआ है. अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान संस्थान के अंतर्गत सात केंद्र बनेंगे. वासुदेव कामथ इस प्रतिमा का निर्माण करेंगे, प्रतिमा की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 280 मीटर होगी. 2000 करोड़ से ज्यादा की लागत से स्टैचू ऑफ वननेस बनाना मध्यप्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं में है लेकिन विपक्ष फिलहाल इसे गंभीरता से लेने के मूड में नहीं है.
मध्यप्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं में 2000 करोड़ से ज्यादा की लागत से स्टैचू ऑफ वननेस बनाना है, ये और बात है कि पिछले साल भर में राज्य सरकार लगभग हर महीने डेढ़ दो हजार का कर्ज लिया है. फिलहाल सरकार पर 2.56 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है, यानी राज्य में हर नागरिक पर 34,000 रुपए कर्ज. pic.twitter.com/eDJi413WLL
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) January 10, 2022
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका ऐलान करते हुए कहा, 'तुलसीदास जी ने सरल शब्दों में कहा सियाराम में सबजन ... एक चेतना सबमें है, भारत के गांव-गांव में बच्चा बोलता है प्राणियों में सद्भभावना हो यानी विश्व का कल्याण हो इसलिये हम सर्वे भवंतु की चेतना की परिकल्पना करते हैं. ' उधर, नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ कहते हैं, 'इसको गंभीरता से नहीं लेना चाहिए. 2000 करोड़ की घोषणा तो कर दी . जब पैसा बजट में आवंटित करेंगे तब चर्चा करेंगे.' मध्यप्रदेश सरकार, आदिगुरू शंकराचार्य की प्रतिमा-संग्रहालय पर 2000 करोड़ से ज्यादा खर्च करने वाली है. मगर पिछले साल भर में राज्य सरकार लगभग हर महीने डेढ़ दो हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है.
फिलहाल सरकार पर 2.56 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है यानी राज्य में हर नागरिक पर 34,000 रुपए कर्ज. अगर खर्चा चलाने सरकार एफआरबीएम के तहत और कर्ज लेती है तो मार्च तक सरकार पर 3 लाख करोड़ से अधिक कर्ज होगा यानी हर नागरिक 40000 रुपए का कर्जदार होगा. मध्य प्रदेश में हाल ही में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से कई जिलो में फसल को नुकसान पहुंचा है. मावठे से 18 जिलों में फसलें तबाह हो गई हैं, 500 से ज्यादा गांवों में गेंहू की फसल को नुकसान हुआ है. अशोकनगर जिले के 80 गांवों में 10,000 हेक्टेयर में धनिया खराब हो चुकी है, मसूर-चना कीचड़ में दबा है. खुद बीजेपी विधायक कह रहे हैं कि मदद नहीं मिली तो सड़क पर उतरेंगे. बीजेपी विधायक जजपाल सिंह जज्जी कहते हैं, 'इस बार मुझे जो करना पड़े, करूंगा. मैं इस्तीफा दे दूंगा, तुम्हारी लड़ाई मैं लड़ूंगा.'
इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में शायद मंत्रीजी को याद आ गया हो कि 2020 में खरीफ में हुए नुकसान भी भरपाई अबतक नहीं हुई है, सो थोड़ा संभले, ब्रेक लगाया कहा मार्च में 25% की भरपाई होगी इसके बाद बाकी :) pic.twitter.com/CcotEUrTRt
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राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल कह रहे हैं कि बीमे से 25 प्रतिशत रकम फौरन मिल जाएगी, लेकिन फिर अपने 17 साल भूलकर कांग्रेस के 50 सालों का हिसाब भी मांगते हैं. कृषि मंत्री कहते हैं, '72 घंटे में सर्वे करके पंचनामा बनाकर 25% राशि जल्द से जल्दी दिलवा देंगे. फसल आने से पहले पैसे दिलवा देंगे. मैं कमलनाथ से पूछना चाहता हूं फसल बीमा क्यों नहीं लाए, आरबीसी6-4 क्यों नहीं लाए. मैं राजस्व मंत्री बना तो संशोधन किया, कांग्रेस के वक्त फसल बीमा होता ही नहीं था.' वैसे जिन किसानों का बीमा नहीं उनका क्या? ऐसे में आप सोचिये, खस्ताहाल सरकार से किसानों को कर्जा लेकर मदद मिलेगी फिर राज्य को इन वित्तीय हालातों से बाहर निकलना कितनी बड़ी चुनौती होगा.
ओलावृष्टि से फसल खराब हुई तो बिचारे किसान को क्या मालूम ... नेताजी कुर्ता पैजामा पहने आए ... पूर्व विधायक हैं पिर भी किसान उनके पैर में लेट गया pic.twitter.com/TTFjlJEMWg
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पिछले पांच साल में बीमा कंपनियों को कुल 1,38,806 करोड़ रुपये का प्रीमियम मिला है. इसके बदले किसानों को 92,427 करोड़ रुपये का क्लेम मिला है. 2020 में खरीफ के नुकसान का बीमा अब तक नहीं मिला है. 'मंत्रीजी' आसानी से कह तो देते हैं लेकिन सरकार की जो प्राथमिकता है उसमें शायद आदिगुरू की प्रतिमा पहले बन जाए. किसानों को मुआवजे के लिए शायद इंतजार ही करना पड़ेगा और सरकार के कर्जे से वो अनचाहे कर्जदार भी बनते रहेंगे.
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