मध्यप्रदेश में कथित गौरक्षकों की अब ख़ैर नहीं. गाय के नाम पर होने वाली मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए मध्यप्रदेश सरकार कानून बनाने जा रही है. कानून का मसौदा तैयार हो गया है, लेकिन बीजेपी कह रही है ये राजनीतिक दुर्भावना है. मई के महीने में मध्यप्रदेश के सिवनी में एक महिला समेत तीन युवकों की बेरहमी से पिटाई हुई, ये पिटाई गौमांस ले जाने के शक के आधार पर की गई थी. अब ऐसी तस्वीरें ना दिखें, इसलिये मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा जहां गाय के नाम पर मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनने जा रहा है. मसौदा तैयार किया है पशुपालन मंत्रालय ने, जिसे विधि विभाग की मंज़ूरी मिल गई है.
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पशुपालन मंत्री लाखन यादव ने कहा, 'कई बार हमने देखा है, ख़ासतौर पर बजरंगदल के लोगों को कि वो लोगों को जानबूझकर रोकते थे, कई जगहों पर दिखा पैसे लेकर छोड़ देते थे. मैंने खुद दो-दो दिन तक गाय को भूखे प्यासे थाने में खड़े देखा है. अब संबंधित व्यक्ति गाय ले जा रहा है तो एसडीएम, तहसीलदार एनओसी देंगे जिसको वाहन पर लगाकर ले जाएंगे. इसके पीछे मंशा ये है कि ये सुरक्षित है. गलत काम के लिये नहीं ले जा रहे हैं. फिर भी कोई मार पीट करेगा तो हमने प्रावधान रखा है कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेंगे.' मध्यप्रदेश में अभी जो कानून लागू है उसके तहत गौवंश की हत्या, गौ मांस रखने और उसके परिवहन पर पूरी तरह रोक है. अब इसमें संशोधन किया जा रहा है, गौ परिवहन पर इन आरोपों के आड़ में कोई कानून हाथ में लेगा तो उसे पांच साल की सज़ा, या 50,000 रुपये जुर्माना या दोनों हो सकती है.
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हालांकि बीजेपी को लगता है कि सरकार राजनीतिक दुर्भावना से काम कर रही है. बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा, 'सरकार सांप्रदायिक खेल खेल रही है, क्योंकि सामान्य तौर पर भले ही अवैध तौर पर गौरक्षा का काम बहुसंख्यक कर रहे हैं, लेकिन क्या मॉब लिंचिंग केवल गौरक्षक करते हैं, राजनीतिक दुर्भावना से भी मॉब लिंचिंग होती है. केवल गौरक्षकों पर क्यों सभी विषयों पर, जो सुप्रीम कोर्ट ने कहा है उसके हिसाब से कानून बनाना चाहिये.' सरकार कि कोशिश है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में इसे पारित करवा लिया जाए. इस कानून के तहत गायों को राज्य के अंदर या राज्य के बाहर लाने ले जाने के नियमों में भी बदलाव किया जा रहा है. अब तक राज्य के बाहर से पशु आयात किए जाने की स्थिति में परिवहन के लिए अनुमति पत्र जारी किए जाने के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है, जिससे दूसरे राज्यों से गौवंश को लाने में मुश्किल होती थी.
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