सरकारी फाइलों से योजनाएं तो निकलती हैं लेकिन कई बार किसानों के खेत तक नहीं बल्कि जालसाजों की जेब में सिमटकर रह जाती हैं. ऐसा ही एक मामला खरगोन जिले में आया है, जहां पॉली हाउस (Poly Houses) बनाने के नाम पर दर्जनों किसानों (Farmers) के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी हो गई है. निमाड़, उत्तर में विध्यांचल, दक्षिण में सतपुड़ा बीच में मां नर्मदा की गोद में बैठे भोले-भाले आदिवासी किसान. इसी निमाड़ में खरगौन जिले के पहाड़ी क्षेत्र में आदिवासी किसानों को पॉली हाउस बनाकर देने के नाम पर कथित तौर पर ठगा गया है.
कदवली के बलिराम बताते हैं कि ''एजेंट ने बैंक में खाता खुलवा दिया जो हर साल कहता था पॉली हाउस बनेगा. पॉली हाउस तो नहीं बना 40 लाख का नोटिस जरूर आ गया. नोटिस आने लगे तब मालूम पड़ा कि हमारे नाम पर लोन निकला है. हमने कोर्ट में अर्जी दी है, 40 लाख हमारे नाम पर निकाले गए हैं. हमने एक रुपया नहीं लिया, हमारे खेत में कोई पॉली हाउस नहीं बना है.''
बद्री खोड़े के पिताजी से भी केन्द्र की योजना के नाम पर कागजात लिए गए. उन्होंने कहा कि ''पिता को बैंक भी लेकर गए. पॉली हाउस तो नहीं बना लेकिन 24 लाख 90 हजार रुपये की वसूली का नोटिस ज़रूर आ गया. 10 किसान हैं हमारे गांव में, पॉली हाउस के नाम पर उन्हें बैंक ले गए, अनुदान के नाम पर अंगूठा लगवा लिया. हमें 2-3 महीने बाद नोटिस आया तब पता चला कि हमारे नाम पर पैसा निकाला गया है, हमने कोई पॉली हाउस नहीं बनाया ... पैसा नहीं मिला तो कैसे बनाएंगे ... हमें 24 लाख, 90000 का नोटिस आया है.''
बताया जा रहा है कि पूरे जिले में पॉली हाउस बनाने के नाम पर लगभग 50 किसानों से ठगी की गई है. आदिवासी किसानों के खाते खुलवाकर उनके नाम पर बैंकों से लोन ले लिए. इलाके से बीजेपी सांसद गजेन्द्र पटेल अब जांच की बात कह रहे हैं. वे कहते हैं कि ''हम अन्याय नहीं होने देंगे. जो इसमें दोषी है... सिस्टम में विभाग भी आता है, बैंक भी आता है. इसकी पूरी कानूनी जांच होगी. जो दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.''
सरकार भी कह रही है किसानों के साथ ठगी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा ''अगर कहीं कोई गड़बड़ी हुई है तो हम जांच करवाएंगे जिससे दूध का दूध पानी का पानी होगा... दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.''
प्रदेश में हर साल सौ से ज्यादा पॉली हाउस बनाए जाते हैं. हर जिले को टारगेट दिया जाता है. आधी राशि सब्सिडी में मिलने के कारण आसानी से टारगेट पूरा हो जाता है. ये पाली हाउस अधिकतम दो एकड़ में बनते हैं. इसके लिए किसान उद्यानिकी विभाग में आवेदन देकर बैंक से लोन लेता है. 30 लाख से अधिक की राशि से पॉली हाउस का निर्माण होने की वजह से विभाग से लेकर बैंक स्तर पर जमकर फर्जीवाड़े के आरोप लगते हैं.
कांग्रेस अब इस मामले को विधानसभा में उठाने की बात कह रही है. कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा ''बड़वानी में, खरगौन में पॉलीहाउस के नाम गरीब किसानों को ठगा गया है. ये सिर्फ आज की बात नहीं है, चार साल पहले भी हमने इस मुद्दे को उठाया था. पॉलीहाउस के नाम पर सब्सिडी करवा देते हैं फिर आदिवासी का शोषण होता है... बीजेपी के जो दलाल हैं, पंजीयन करवा लेते हैं, पैसा खा जाते हैं. हम इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाएंगे... मुख्यमंत्री से भी मांग करते हैं, इसमें निष्पक्ष जांच करवा लें और जो दलाल हैं उन पर कार्रवाई हो.''
दरअसल एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत सरंक्षित खेती के लिए मध्यप्रदेश सरकार किसानों को पॉली हाउस और शेड नेट हाउस पर 50% तक सब्सिडी देती है. सरकार ग्रीन हाउस ढांचा, शेडनेट हाउस, उच्च कोटि पॉली हाउस को 4,000 वर्ग मीटर क्षेत्र तक बनाने के लिए कुल लागत का 50% खर्च राज्य सरकार अनुदान के रूप में देती है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं