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This Article is From Feb 04, 2019

मध्यप्रदेश : लोग मरीजों को ठेले में अस्पताल पहुंचा रहे, नई एंबुलेंसें धूल खा रहीं!

10 करोड़ 35 लाख रुपये खर्च करके खरीदी गईं 115 एंबुलेंसें 6 महीने से भोपाल के करीब भौंरी में यार्ड में खड़ी धूल खा रहीं

मध्यप्रदेश : लोग मरीजों को ठेले में अस्पताल पहुंचा रहे, नई एंबुलेंसें धूल खा रहीं!
मध्यप्रदेश में एंबुलेंस न मिलने के कारण मरीज को हाथ ठेले में अस्पताल ले जाने पर मजबूर हो रहे लोग.
भोपाल:

कोई ठेले में मरीज़ को अस्पताल पहुंचा रहा है, तो कोई गोद में मरीज़ को अस्पताल लाने पर मजबूर है. मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर हैं. यह हालात क्यों हैं? जानना चाहते हैं तो मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के करीब भौंरी इलाके में जाना होगा.

सड़क हादसे में घायलों और गंभीर रूप से बीमार मरीजों को फौरन अस्पताल पहुंचाने के लिए सरकार ने 10 करोड़ 35 लाख रुपये खर्च करके 115 एंबुलेंसें खरीदीं, लेकिन लगभग 6 महीने से ये भोपाल के करीब भौंरी में यार्ड में पड़ी धूल खा रही हैं. इसके पीछे वजह है फेब्रिकेशन वर्क, यानी एंबुलेंसों में मेडिकल उपकरणों के इंस्टॉलेशन का न होना. वो भी तब जब इसके लिए 4 करोड़ 60 लाख रुपये अगस्त 2018 में ही स्वीकृत हो गया था.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से जुड़े अधिकारी कह रहे हैं कि तकनीकी दिक्कतों की वजह से पहिये रुके थे, अब रफ्तार पकड़ेंगे. एनएचएम के मिशन डायरेक्टर निशांत वरवडे ने कहा "बीच में भारत सरकार एआईएस 125 के नॉर्म्स लाई, जिसको लेकर टेंडर की मीटिंग में सवाल उठाए गए. उनका समाधान करने तक आचार संहिता लग गई और उस बीच चुनाव आयोग से अनुमति नहीं मिली. अब टेंडर खोला गया है बहुत जल्दी गाड़ियां रोड पर आ जाएंगी.

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राज्य में फिलहाल 150 खस्ताहाल एंबुलेंसें चल रही हैं जिन्हें इन 115 नई एंबुलेंसों से बदला जाना था. काम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत होना था. फिलहाल काम कांग्रेस-बनाम बीजेपी की लड़ाई हो गया है. दोनों एक-दूसरे के राज पर आरोप लगा रहे हैं.

 

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कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ने कहा " बीजेपी ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बदहाल कर दिया था सिर्फ भ्रष्टाचार हो रहा था. जो एंबुलेंसें आई हैं उनमें कुछ छोटे-मोटे काम थे. वे काम हो रहे हैं, शीघ्र सड़कों पर दिखाई देंगी.

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बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा "मध्यप्रदेश में जब तक बीजेपी की सरकार रही, सब व्यवस्था सुचारू थी. केन्द्र ने पुरस्कार भी दिया. अब एंबुलेंस जो आई हैं. देखना होगा किस हाल में हैं ... कुछ दिनों आचार संहिता रही. अब कांग्रेस की सरकार आई है, जो खुद बीमार है. लगातार मुख्यमंत्री दौरों में व्यस्त हैं किसान के कर्जे में परेशान हैं. मुझे लगता है इस मामले में संजीदगी की जरूरत है."

VIDEO : मध्यप्रदेश में बदहाल अस्पताल

बहरहाल इस मामले में प्रशासन का कहना है कि 115 में से 75 एंबुलेंसें सड़कों पर दौड़ने लगेंगी. बाकी में भी फरवरी के आखिर तक जरूरी उपकरण लग जाएंगे.

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