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This Article is From Apr 19, 2020

भोपाल में कोरोना से 6 की मौत, सभी 1984 में गैस ट्रैजडी के थे शिकार

Madhya Pradesh Coronavirus Update: कई सामाजिक संगठनों ने सरकार को 21 मार्च को ही खत लिखकर कहा था कि गैस पीड़ितों के इस संक्रमण की चपेट में आने की आशंका बहुत ज्यादा है.

भोपाल में कोरोना से 6 की मौत, सभी 1984 में गैस ट्रैजडी के थे शिकार
Madhya Pradesh Coronavirus Update: गैस पीड़ितों में कोरोना संक्रमण का खतरा 5 गुना ज्यादा है
भोपाल:

Madhya Pradesh Coronavirus Update: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोनावायरस () के संक्रमण से छह लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना के कारण मौत वाले सभी मामले पुराने शहर की घनी आबादी वाले जहांगीराबाद, इब्राहिमगंज और चौकी इमामबाड़ा इलाकों के हैं. एक और अहम बात ये कि सारे 1984 में हुए गैस रिसाव से पीड़ित थे, जिस त्रासदी में 20000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई, पांच लाख से ज्यादा आज भी प्रभावित हैं. कई सामाजिक संगठनों ने सरकार को 21 मार्च को ही खत लिखकर कहा था कि गैस पीड़ितों के इस संक्रमण की चपेट में आने की आशंका बहुत ज्यादा है. 7 अप्रैल को भोपाल में नादरा बस स्टैंड इलाके में रहने वाले 55 साल के नरेश खटीक ने दम तोड़ दिया था. ये शहर में कोरोना से पहली मौत थी. गैस रिसाव से उन्हें ताउम्र सांस लेने में तकलीफ हुई, अस्थमा पीड़ित थे, फेफड़ों में संक्रमण भी था. 80 साल के जगन्नाथ मैथिल अहीरपुरा के रहने वाले थे. 2013 से अस्थमा से पीड़ित थे. 8 अप्रैल तबियत खराब होने पर अस्पताल में भर्ती किया गया उसी दिन उनकी मौत हो गई. 42 साल के इमरान खान को मुंह का कैंसर था, 12 अप्रैल को उनकी मौत हुई. 52 साल के रामप्रकाश यादव भी जहांगीराबाद में रहते थे, टीबी के मरीज थे, 11 अप्रैल को इनकी मौत हो गई. 73 साल के अशफाक नदवी भी जहांगीराबाद के निवासी थे, इन्हें भी सांस लेन में दिक्कत थी, 11 अप्रैल को मौत हुई. 60 साल के यूनूस खान की मौत 14 अप्रैल को हुई.

एक और बात जो इन गैस पीड़ितों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बनाती है वो है 24 मार्च को गैस पीड़ितों के लिये बने भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर को सिर्फ कोरोना संक्रमितों के लिये रिजर्व करना, हालांकि सामाजिक कार्यकर्ताओं के हाईकोर्ट पहुंचने के बाद 14 अप्रैल को इसे वापस मुक्त कर दिया गया लेकिन तबतक 6 लोगों की मौत हो चुकी थी.

सब्जी बेचने वाले मोहम्मद फैजान खानूगांव में अपना टेस्ट करा रहे हैं, उनके माता-पिता गैस रिसाव पीड़ित हैं. दावा है कि बीएमएचआरसी में इलाज नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा, 'मैं यहां सब्जियां बेचने आया था इसलिए मैंने यहां परीक्षण किया, हमारे क्षेत्र में परीक्षण नहीं किए जा रहे हैं.' भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के आंकड़े बताते हैं कि गैस प्रभावित 50.4% मरीज़ हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं. उनमें से 59.6% फेफड़े की समस्याओं से पीड़ित हैं. उनमें से 15.6% मधुमेह से पीड़ित हैं.

सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है - गैस पीड़ितों में सामान्य लोगों की तुलना में कोरोना संक्रमण का खतरा 5 गुना ज्यादा है. गैस पीड़ितों के लिये सालों से संघर्ष कर रही रचना ढींगरा ने कहा, 'हमने पहले ही कहा था अगर विशेष ध्यान नहीं दिया गया तो कई गैस पीड़ितों की मृत्यु हो जाएगी क्योंकि उनमें से एक तिहाई गैस पीड़ित फेफड़े, अस्थमा, हृदय रोग, टीबी, शुगर से पीड़ित हैं. सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है, नतीजा सौ प्रतिशत मौतें गैस पीड़ितों की हैं.'

एक राज्य जो बगैर स्वास्थ्य मंत्री के काम कर रहा है, जहां स्वास्थ्य विभाग के 100 से ज्यादा कर्मचारी कोरोना संक्रमित हैं, वहां कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे पर आरोप लगाने में व्यस्त हैं. कांग्रेस प्रवक्ता शहरयार खान ने कहा, 'गैस पीड़ितों को पहले से ही सांस की समस्या है, अभी भी गैस अस्पताल में जांच नहीं हो रही है, उन्हें दवाएं नहीं मिल रही हैं, इन सबके लिये शिवराज सिंह जिम्मेदार हैं.'
वहीं बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा, 'कांग्रेस 23 तारीख तक सरकार चला रही थी. अब वे केवल आरोप लगा रहे हैं कि कमलनाथ ने एक अपील जारी की लेकिन कोविड से लड़ने के लिए कार्रवाई और सुरक्षा की जरूरत है जो शिवराज सिंह चौहान कर रहे हैं.

ICMR की एक रिपोर्ट बताती है कि गैस पीड़ितों का बड़ा हिस्सा - आर्थिक रूप से कमज़ोर है. ज्यादातर लोग भीड़भाड़ वाले इलाके में 100 वर्ग फुट से भी छोटे घरों में रहते हैं, इन इलाकों में 24 घंटे नल के पानी की सुविधा नहीं है, ऐसे में दूसरी बातों के अलावा लगातार हाथ धोने की सुविधा सुनिश्चित करने की जरूरत थी लेकिन फिलहाल सरकार आरोपों से हाथ धोने में व्यस्त है.

वैसे लगातार हो रही मौतों के बाद अब पुराने भोपाल के इन इलाकों को कंटोनमेंट में बदला गया है, 50-60,000 लोगों की स्क्रीनिंग शुरू हो गई है.

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