मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में गांधी स्मारक हटाने पर हंगामा हुआ. विरोध करती हुईं मेधा पाटकर.
भोपाल:
मध्यप्रदेश के बड़वानी में गांधी स्मारक हटाने पर गुरुवार को सुबह खूब हंगामा हुआ. सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावित क्षेत्र में आ रहे गांधी स्मारक को हटाने के लिए प्रशासनिक अमला सुबह चार बजे समाधि पर पहुंच गया. लोगों का आरोप है कि जेसीबी मशीन से खोदकर महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी और महादेव देसाई जी के अस्थि कलश बाहर निकाल लिए. हालांकि प्रशासन का दावा है कि अस्थि कलश अब तक मिला ही नहीं है. गांधी स्मारक पर ही मेधा पाटकर डूब प्रभावितों के लिए अनशन पर बैठने वाली थीं.
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए. उनका आरोप था कि प्रशासन ग्राम सभा की अनुमति के बगैर और बिना पंचनामा अस्थिकलश ले जा रहा है.
सन 1965 में प्रख्यात गांधीवादी काशीनाथ त्रिवेदी बापू, बा, और महादेव देसाई की अस्थियों की राख बड़वानी लेकर आए थे और नर्मदा किनारे समाधि का निर्माण हुआ था. कई दशकों से गांधी की विचारधारा मानने वालों के लिए राजघाट श्रद्धा का केन्द्र रहा है. पश्चिमी मध्यप्रदेश में स्थित बड़वानी जिला गुजरात और महाराष्ट्र से सटा हुआ है.
बड़वानी के कलेक्टर तेजस्वी नायक ने एनडीटीवी से बातचीत में प्रशासन पर लगे आरोपों को नकारते हुए कहा “ सारे धार्मिक और अहम निर्माणों के संरक्षण के लिए कमेटी का गठन किया गया है. उनकी अनुशंसा पर राजघाट को अस्थाई रूप से हटाकर कुकरी में भव्य स्मारक बनाया जाएगा. समाधि को हटाना जरूरी था क्योंकि यह डूब क्षेत्र में आ रहा है. हम सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कर रहे हैं. आज हमारे लोग वहां समाधि हटाने गए तो उन्हें रोक दिया गया. वहां एनडीआरएफ की टीम भी तैनात है. मेधा पाटकर का इस मामले से कोई सरोकार नहीं है.''
सरदार सरोवर बांध के गेट बंद होने से मध्यप्रदेश के चार जिलों बड़वानी, खरगौन, धार और अलीराजपुर के 40,000 से ज्यादा परिवार प्रभावित होंगे. बुधवार को मध्य प्रदेश विधानसभा में सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों को लेकर जमकर हंगामा हुआ था. हंगामे के बाद विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया, जिसके विरोध में कांग्रेसी विधायक पैदल ही मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने निकल पड़े थे. हालांकि थोड़ी ही दूर पर उन्हें एहतियातन हिरासत में ले लिया गया था.
VIDEO : विस्थापितों की समस्या
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आरोप लगाया था कि गुजरात चुनावों के मद्देनजर प्रधानमंत्री के इशारे पर मुख्यमंत्री सरदार सरोवर पर सवालों से बच रहे हैं. उन्हें मध्यप्रदेश के लोगों की फिक्र नहीं है.
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए. उनका आरोप था कि प्रशासन ग्राम सभा की अनुमति के बगैर और बिना पंचनामा अस्थिकलश ले जा रहा है.
सन 1965 में प्रख्यात गांधीवादी काशीनाथ त्रिवेदी बापू, बा, और महादेव देसाई की अस्थियों की राख बड़वानी लेकर आए थे और नर्मदा किनारे समाधि का निर्माण हुआ था. कई दशकों से गांधी की विचारधारा मानने वालों के लिए राजघाट श्रद्धा का केन्द्र रहा है. पश्चिमी मध्यप्रदेश में स्थित बड़वानी जिला गुजरात और महाराष्ट्र से सटा हुआ है.
बड़वानी के कलेक्टर तेजस्वी नायक ने एनडीटीवी से बातचीत में प्रशासन पर लगे आरोपों को नकारते हुए कहा “ सारे धार्मिक और अहम निर्माणों के संरक्षण के लिए कमेटी का गठन किया गया है. उनकी अनुशंसा पर राजघाट को अस्थाई रूप से हटाकर कुकरी में भव्य स्मारक बनाया जाएगा. समाधि को हटाना जरूरी था क्योंकि यह डूब क्षेत्र में आ रहा है. हम सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कर रहे हैं. आज हमारे लोग वहां समाधि हटाने गए तो उन्हें रोक दिया गया. वहां एनडीआरएफ की टीम भी तैनात है. मेधा पाटकर का इस मामले से कोई सरोकार नहीं है.''
सरदार सरोवर बांध के गेट बंद होने से मध्यप्रदेश के चार जिलों बड़वानी, खरगौन, धार और अलीराजपुर के 40,000 से ज्यादा परिवार प्रभावित होंगे. बुधवार को मध्य प्रदेश विधानसभा में सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों को लेकर जमकर हंगामा हुआ था. हंगामे के बाद विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया, जिसके विरोध में कांग्रेसी विधायक पैदल ही मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने निकल पड़े थे. हालांकि थोड़ी ही दूर पर उन्हें एहतियातन हिरासत में ले लिया गया था.
VIDEO : विस्थापितों की समस्या
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आरोप लगाया था कि गुजरात चुनावों के मद्देनजर प्रधानमंत्री के इशारे पर मुख्यमंत्री सरदार सरोवर पर सवालों से बच रहे हैं. उन्हें मध्यप्रदेश के लोगों की फिक्र नहीं है.
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