मध्यप्रदेश की 15वीं विधानसभा में सत्ता से बाहर हुई बीजेपी ने सदन के अध्यक्ष के बाद उपाध्यक्ष का पद भी गंवा दिया. बीजेपी ने इसे मध्यप्रदेश के लोकतंत्र के इतिहास का काला दिन बताया.पार्टी ने ऐलान किया कि वह अब सत्ता पक्ष के खिलाफ राष्ट्रपति के पास जाएगी और विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी. बीजेपी ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा है.
बीजेपी कोर्ट जाने के बारे में भी अपने वकीलों से मशविरा ले रही है. मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष की तरह उपाध्यक्ष पद के चुनाव में भी सदन की कार्यवाही डेढ़ घंटे में दो बार स्थगित हुई, शोर शराबे के बीच कांग्रेस विधायक हिना कांवरे को मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने उपाध्यक्ष घोषित कर दिया. ऐलान होते ही विपक्ष ने अध्यक्ष पर पक्षपात के आरोप लगाते हुए उपाध्यक्ष चयन प्रक्रिया को अलोकतांत्रिक बताकर उनके इस्तीफे की मांग की.
पूर्व स्कूली शिक्षा मंत्री कुंवर विजय शाह ने कहा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के निर्वाचन में या सदन के संचालन में जिस तरह की कार्यवाही और हावभाव प्रदर्शित किया गया है, उनकी निष्पक्षता नहीं दिखाता. हमारे सारे सदस्य नाराज हैं. नियम-प्रक्रिया की मांग कर रहे हैं. अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ सकते हैं. राष्ट्रपति के पास भी जा सकते हैं.
वैसे सदन की परंपरा यह रही है कि अध्यक्ष सत्ता पक्ष का और उपाध्यक्ष विपक्ष का रहता है. लेकिन 29 साल बाद यह परंपरा टूट गई. दोनों पद पर सत्ता पक्ष काबिज है. सरकार कह रही है गलती विपक्ष की है, खासकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की. खेल मंत्री जीतू पटवारी ने कहा शिवराज जी ने आसंदी की ओर कहा डॉन, ये बताता है कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. डिवीजन किया आज. उन्होंने उस दिन की आपत्ति को लाइनअप करके एक साथ लिया. फिर नेता प्रतिपक्ष से पूछकर कार्यवाही आगे बढ़ाई. इसमें गुनाह क्या था.
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हंगामे के बीच 22 हजार करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पास कर दिया गया. इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई.
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