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This Article is From Jun 13, 2017

मध्य प्रदेश में 24 घंटे में तीन किसानों ने दी जान, फसलों की बर्बादी और कर्ज से परेशानी बने कारण

सीहोर, होशंगाबाद और विदिशा जिले में हुईं घटनाएं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दो दिन मंदसौर जिले में बिताएंगे

मध्य प्रदेश में 24 घंटे में तीन किसानों ने दी जान, फसलों की बर्बादी और कर्ज से परेशानी बने कारण
प्रतीकात्मक फोटो.
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
सीहोर जिले के जाजना गांव में किसान दुलीचंद की मौत
भैरूपुर गांव में किसान माखनलाल ने फांसी लगाकर जान दे दी
विदिशा जिले के हरिसिंह जाटव ने जहर खाकर आत्महत्या की
भोपाल: मध्य प्रदेश में किसानों के खुदकुशी करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले 24 घंटों में तीन किसान खुदकुशी कर चुके हैं. इस बीच मुख्यमंत्री ने बुधवार को दो दिनों के लिए मंदसौर जाने का फैसला किया है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पैतृक जिले सीहोर की रेहटी तहसील के जाजना गांव में 52 साल के दुलीचंद ने जान दे दी. उनके परिजनों के मुताबिक छह लाख के कर्ज और फसल खराब होने से वे परेशान थे. उनके बेटे इंद्र कुमार कीर ने बताया कि 'बैंक का कर्ज था, साहूकार भी परेशान कर रहे थे. हमारी नौ एकड़ जमीन में से कुछ जमीन पड़ती भी है. वे कल खेत से आकर बेचैन होकर घर के बाहर टीले पर लेट गए. सब अस्पताल लेकर निकले लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई. हमें लगता है उन्होंने कोई गोली खा ली.' हालांकि प्रशासन का कहना है कि पोस्टमॉर्टम में जहर की पुष्टि नहीं हुई है.
     
जाजना से 50 किलोमीटर दूर, होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा तहसील के भैरूपुर गांव में 68 साल के माखनलाल ने पेड़ से फांसी लगाकर जान दे दी. वजह वही बढ़ता कर्ज, घटती आमदनी. उनकी बेटी रक्षा ने बताया कि 'बैंक के कर्जे से परेशान 25 एकड़ के खेत को बेचते-बेचते अब उनके पास सात एकड़ की ही खेती बची है. आज किसी से कुछ कहा नहीं, कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने फांसी लगा ली है.'
   
विदिशा के हरिसिंह जाटव ने भी जहर खाकर जान दे दी. घर वालों का आरोप है पटवारी ने जमीन को लेकर फर्जीवाड़ा किया. इसने बढ़ते कर्ज ने परेशानी को दूना कर दिया. आठ जून को रायसेन के किशनलाल मीणा ने जहर पीकर खुदकुशी कर ली थी.
    
मध्यप्रदेश में किसानों के आंदोलन के दौरान छह किसानों की मौत सुर्खियों में हैं. व्रत उपवास खत्म होने के बाद सरकार इन मौतों पर कुछ कहने से बचती दिख रही है. गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा जरूरी नहीं कि हर किसान जो खुदकुशी कर रहा है वह कर्जे की वजह से ही हो. एनसीआरबी के आंकड़े कहते हैं कि पिछले नौ सालों में मध्यप्रदेश में 11000 किसानों ने खुदकुशी की है. हालात अब भी सुधरते नहीं दिख रहे हैं.

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