प्रतीकात्मक फोटो.
भोपाल:
मध्यप्रदेश में खुले में शौच एक बड़ी समस्या है. लिहाजा प्रशासन सख्त हो रहा है. रायसेन जिले के वीरपुर में खुले में शौच करने पर जहां 13 गांव वालों पर चार लाख का जुर्माना लगा है तो वहीं सांची के अंबेवाड़ी के एक गांव में ढाई लाख का. कुल 214 गांवों के लोगों पर 50 लाख का जुर्माना लगाया गया है. हालांकि गांव वालों का कहना है कि वे रकम नहीं भर सकते और खुले में शौच जाना उनकी मजबूरी है.
अंबेवाड़ी के सुमेर सिंह मीणा गुस्से में कहते हैं ''हम सरकार को 14,000 देते हैं, हमें बनाकर बता दें शौचालय. अस्सी हजार लगते हैं. गांव के मजदूर हैं, जुर्माना लगाकर चले गए, क्या होता है... नहीं दे पाएंगे.''
अंबेवाड़ी में ही 18 साल का जितेन्द्र भोपाल में काम करता है. घर आया तो पता लगा पांच लोगों के परिवार पर 37,500 का जुर्माना लग गया है. लेकिन फिर भी मजबूरी है, घर में शौचालय नहीं है. 12,000 लगा नहीं सकते लिहाजा खुले में ही शौच जाना पड़ता है.
राजेन्द्र के पिता के जयराम को भी जुर्माना भरना है. घर में सात सदस्य हैं. कहते हैं ''जुर्माने की रकम नहीं भर सकते. सरपंच से कहा था हमारे घर में शौचालय नहीं है, जुर्माना लगाना है तो लगा सकते हो.''
अंबेवाड़ी के कई घरों में सफाई के बोर्ड लटक गए हैं. शौचालय भी बन गए हैं, घरवाले इस्तेमाल भी कर रहे हैं, लेकिन 12,000 में शौचालय बनाने के अलावा बड़ी समस्या है पानी की कमी की. एक-एक नल में कई लोग पानी भरने जुटते हैं. पहाड़ी इलाका है. ऐसे में लोगों का कहना है कि शौचालय में साफ-सफाई के लिए पानी कहां से लाएंगे.
गजेन्द्र अहिरवार के घर में तीन महीने पहले शौचालय बन गया है लेकिन वे कहते हैं कि पानी की दिक्कत है. 10-12 लोग हैं. परिवार में पानी बिल्कुल नहीं है. ऐसे में सब खुले में ही शौच जाते हैं.
सांची के 214 गांवों में से 12 पंचायतें खुले में शौच से मुक्त हो चुकी हैं, लेकिन बाकी के गांवों में लोग खुले में शौच जा रहे हैं. जुर्माने की रकम लगभग 50 लाख हो गई है. प्रशासन का कहना है कि जुर्माना टोकन है लेकिन नहीं भरा तो कड़ी कार्रवाई की जा सकती है.
जनपद पंचायत के सीईओ शोभित त्रिपाठी ने कहा सभी पंचायतों को ओडीएफ कराना है. उनको टोकन स्वरूप मध्यप्रदेश स्वच्छता अधिनियम की धारा 15 (1), 15 (2) प्रति व्यक्ति 250 रुपये की रसीद दे रहे हैं. परिवार के सदस्यों को जोड़कर महीने के हिसाब से वसूला जाएगा. अगर नहीं दे रहे तो आरआरसी में प्रावधान है नियम के हिसाब से कुर्की जब्ती होगी.
फिर भी लोगों का कहना है कि उन्हें खुले में ही शौच जाना होगा. इलाके में गरीबों के लिए 12000 में शौचालय बनाना मुमकिन नहीं. 76 साल के गंगाराम मीणा ने साफ कहा ''जुर्माना नहीं दे पाएंगे. खाने को अनाज नहीं है, कहां से दे पाएंगे. शौचालय बनाएं कैसे. नहीं हो पा रहा. जुर्माना होने पर भी जा रहे हैं खुले में शौच.''
हालांकि मध्यप्रदेश के पंचायत और ग्रामीण विकास राज्यमंत्री विश्वास सारंग ने साफ किया कि हर मामले को पूरी संवेदना से देखा जाएगा. कई क्षेत्रों में भौगौलिकता की दिक्कत है लेकिन कोशिश है कि राज्य को साफ स्वच्छ बनाया जाए. स्वच्छ भारत मिशन के तहत 2019 तक मध्यप्रदेश सरकार 1.22 करोड़ घरों में शौचालय बनाना चाहती है जिससे 52,000 गांव खुले में शौच से मुक्त हो सकें. लेकिन फिलहाल लगता है पैसों और सरकारी सोच में कमी से यह इरादा फाइलों में ही रह जाएगा.
अंबेवाड़ी के सुमेर सिंह मीणा गुस्से में कहते हैं ''हम सरकार को 14,000 देते हैं, हमें बनाकर बता दें शौचालय. अस्सी हजार लगते हैं. गांव के मजदूर हैं, जुर्माना लगाकर चले गए, क्या होता है... नहीं दे पाएंगे.''
अंबेवाड़ी में ही 18 साल का जितेन्द्र भोपाल में काम करता है. घर आया तो पता लगा पांच लोगों के परिवार पर 37,500 का जुर्माना लग गया है. लेकिन फिर भी मजबूरी है, घर में शौचालय नहीं है. 12,000 लगा नहीं सकते लिहाजा खुले में ही शौच जाना पड़ता है.
राजेन्द्र के पिता के जयराम को भी जुर्माना भरना है. घर में सात सदस्य हैं. कहते हैं ''जुर्माने की रकम नहीं भर सकते. सरपंच से कहा था हमारे घर में शौचालय नहीं है, जुर्माना लगाना है तो लगा सकते हो.''
अंबेवाड़ी के कई घरों में सफाई के बोर्ड लटक गए हैं. शौचालय भी बन गए हैं, घरवाले इस्तेमाल भी कर रहे हैं, लेकिन 12,000 में शौचालय बनाने के अलावा बड़ी समस्या है पानी की कमी की. एक-एक नल में कई लोग पानी भरने जुटते हैं. पहाड़ी इलाका है. ऐसे में लोगों का कहना है कि शौचालय में साफ-सफाई के लिए पानी कहां से लाएंगे.
गजेन्द्र अहिरवार के घर में तीन महीने पहले शौचालय बन गया है लेकिन वे कहते हैं कि पानी की दिक्कत है. 10-12 लोग हैं. परिवार में पानी बिल्कुल नहीं है. ऐसे में सब खुले में ही शौच जाते हैं.
सांची के 214 गांवों में से 12 पंचायतें खुले में शौच से मुक्त हो चुकी हैं, लेकिन बाकी के गांवों में लोग खुले में शौच जा रहे हैं. जुर्माने की रकम लगभग 50 लाख हो गई है. प्रशासन का कहना है कि जुर्माना टोकन है लेकिन नहीं भरा तो कड़ी कार्रवाई की जा सकती है.
जनपद पंचायत के सीईओ शोभित त्रिपाठी ने कहा सभी पंचायतों को ओडीएफ कराना है. उनको टोकन स्वरूप मध्यप्रदेश स्वच्छता अधिनियम की धारा 15 (1), 15 (2) प्रति व्यक्ति 250 रुपये की रसीद दे रहे हैं. परिवार के सदस्यों को जोड़कर महीने के हिसाब से वसूला जाएगा. अगर नहीं दे रहे तो आरआरसी में प्रावधान है नियम के हिसाब से कुर्की जब्ती होगी.
फिर भी लोगों का कहना है कि उन्हें खुले में ही शौच जाना होगा. इलाके में गरीबों के लिए 12000 में शौचालय बनाना मुमकिन नहीं. 76 साल के गंगाराम मीणा ने साफ कहा ''जुर्माना नहीं दे पाएंगे. खाने को अनाज नहीं है, कहां से दे पाएंगे. शौचालय बनाएं कैसे. नहीं हो पा रहा. जुर्माना होने पर भी जा रहे हैं खुले में शौच.''
हालांकि मध्यप्रदेश के पंचायत और ग्रामीण विकास राज्यमंत्री विश्वास सारंग ने साफ किया कि हर मामले को पूरी संवेदना से देखा जाएगा. कई क्षेत्रों में भौगौलिकता की दिक्कत है लेकिन कोशिश है कि राज्य को साफ स्वच्छ बनाया जाए. स्वच्छ भारत मिशन के तहत 2019 तक मध्यप्रदेश सरकार 1.22 करोड़ घरों में शौचालय बनाना चाहती है जिससे 52,000 गांव खुले में शौच से मुक्त हो सकें. लेकिन फिलहाल लगता है पैसों और सरकारी सोच में कमी से यह इरादा फाइलों में ही रह जाएगा.
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