मध्य प्रदेश में जबलपुर के एक अस्पताल के डायरेक्टर समेत चार लोगों को नकली रेमेडिसविर दवा खरीदने और मरीजों को देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. इस दवा का इस्तेमाल कोरोना का इलाज करने में किया जा रहा है. आरोपी सरबजीत सिंह मोखा विश्व हिंदू परिषद नर्मदा डिविजन के अध्यक्ष भी है. जबलपुर की सिटी अस्पताल के डायरेक्टर मोखा पर इंदौर से 500 रेमेडिसविर इंजेक्शन जुटाने का आरोप है, जो कि कोरोना को मरीजों को लगाए गए हैं. मोखा पर आईपीसी की धारा 274, 275, 308 और 420 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
अन्य आरोपियों में मोखा के मैनेजर के तौर पर काम कर रहे देवेंद्र चौरसिया और फार्मा कंपनियों के साथ डील करने वाले सपन जैन शामिल है. इसका खुलासा तब हुआ, जब गुजरात पुलिस ने नकली रेमेडिसविर बनाने वाली एक यूनिट का भंडाफोड़ किया और जबलपुर से जैन को 7 मई को गिरफ्तार किया.
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वीएचपी के प्रांतीय मंत्री, राजेश तिवारी ने कहा है कि मोखा को अब उसकी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया है, और पुलिस को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
जबलपुर आईजी भागवत सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'हमने हालही के दिनों में एडिशनल सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस रैंक के एक नोडल ऑफिसर के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया है. इस एसआईटी का गठन रेमेडिसविर और ऑक्सीजन की कालाबाजारी को पकड़ने के लिए किया गया था. हम लोग इस नेटवर्क को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.' साथ ही उन्होंने कहा, 'छिंदवाड़ा में भी हमने 3-4 लोगों को पकड़ा है. जबलपुर में भी 20-20 हजार के ऑक्सीजन सिलेंडर बेचने वाले कुछ लोगों को पकड़ा गया है.'
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बता दें, भारत में कोरोना की दूसरी लहर के कहर के बाद रेमेडिसविर और ऑक्सीजन की काफी किल्लत देखने को मिल रही है. इनकी कालाबाजारी की खबरें हर रोज सामने आ रही हैं.
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