
मध्यप्रदेश के इंदौर के तोड़ा जूना गणेश मंदिर के नजदीक रहने वाली एक बुज़ुर्ग महिला, जिन्हें मोहल्ले वाले दुर्गा मां के नाम से पुकारते थे, कुछ दिनों से बीमार थीं. फिर वह चल बसीं. उनके दो लड़के हैं जो कहीं और रहते हैं. उन्हें बुलाया गया. जब वो आए तो उनके पास इतने पैसे भी नही थे कि अपनी मां का अंतिम संस्कार कर सकें. तभी मुहल्ले के अकील भाई, असलम भाई, मुदस्सर भाई, राशिद इब्राहिम, इमरान सिराज जैसे मुस्लिम भाइयों ने अपनी दुर्गा मां का अंतिम संस्कार किया और आपसी भाईचारे की मिसाल पेश की.
यही हमारी गंगा - जमुनी संस्कृति है।
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) April 7, 2020
ऐसे दृश्य हमारे आपसी प्रेम-सद्भाव व भाईचारे को प्रदर्शित करते है।
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इसे लेकर अब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा कि यही हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति है. कमलनाथ ने ट्वीट किया, 'इंदौर के नॉर्थ तोड़ा क्षेत्र में एक बुजुर्ग हिन्दू महिला द्रोपदी बाई की मृत्यु होने पर क्षेत्र के मुस्लिम समाज के लोगों ने उनके दो बेटों का साथ देकर उनकी शवयात्रा में कंधा देकर व उनके अंतिम संस्कार में मदद कर जो आपसी सदभाव की व मानवता की जो मिसाल पेश की, वो क़ाबिले तारीफ़ है. यही हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति है. ऐसे दृश्य हमारे आपसी प्रेम-सद्भाव ,व भाईचारे को प्रदर्शित करते हैं.'
मुसलमानों ने इस दौरान एक सुनहरी इबारत लिखी जो दुनिया में बहुत ही कम देखने को मिलती है. आज के इस माहौल में जब दुर्गा मां के लिए मुस्लिमों ने जो काम किया वो उन नफरत फैलाने वालों के मुंह पर जोरदार तमाचा है जो हिन्दू मुस्लिमों को बांटकर अपनी राजनीति करते हैं.
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