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अगर कुछ कर गुजरने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है. इसकी एक मिसाल बनीं हैं एमपीपीएससी की टॉपर मिनी अग्रवाल. मिनी के लिए इस उपलब्धि को हासिल करना कई तरह की चुनौतियों से भरा हुआ था. खासकर तब जब उन्हें चार बड़े ऑपरेशन की वजह से आठ साल तक बिस्तर पर रहना पड़ा. लेकिन इन सब के बावजूद भी मिनी ने हार नहीं मानी और अपने सपने को साकार करने के लिए दिन रात एक कर मेहनत करती रहीं. बता दें कि मिनी अग्रवाल नगर निगम में बतौर असिस्टेंट कमिश्नर कार्यरत हैं.
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ग्वालियर में पली-बढ़ी मिनी दिव्यांग होने की वजह से स्कूल भी बेहद कम ही जा पातीं, फिर भी तमाम मुश्किलों पर काबू पाते हुए मिनी अग्रवाल ने अपनी ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद से ही एमपीपीएससी की तैयारी में जुट गईं. जीतने का जुनून इतना कि तीन बार की नाकामी भी हिला नहीं सकी और आखिरकार 2014 में उन्हें करियर की पहली कामयाबी मिली जब उन्हें लेबर ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया गया.
लेकिन मिनी ने जिंदगी में बेहतर करने की जंग जारी रखी और अब 2018 की परीक्षा में वे नगर निगम के असिस्टेंट कमिश्नर के लिए चुनी गई हैं. मिनी की इस कामयाबी पर ना सिर्फ घर वालों को नाज है बल्कि वो एक मिसाल बन चुकी हैं संघर्ष की, चुनौतियों से लोहा लेकर जीत हासिल करने की.
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