मध्यप्रदेश में जय किसान ऋण मुक्ति योजना के तहत किसान कर्जमाफी के फॉर्म भरने लगे हैं, लेकिन जो सूची सरकारी दफ्तरों में चिपकाई जा रही है उससे किसान खासे परेशान हैं. किसी के नाम के आगे 30 रुपये की कर्जमाफी है तो किसी के सवा सौ रुपये. सबसे बड़ी दिक्कत सरकारी बैंकों में है जहां पर ये लिस्ट अंग्रेजी में आ रही है. किसानों का कहना है कि अंग्रेजी में पढ़ना किसी के वश की बात नहीं है और ऐसे में कोई नहीं जा पा रहा है कि किसका नाम है या नहीं है. किसान कह रहे हैं इसे पढ़ना उनके बस की बात नहीं. गौरतलब है कि किसानों के कर्जमाफी के मुद्दे पर ही कांग्रेस सत्ता में आई है और पार्टी के नेता कमलनाथ ने सीएम की कुर्सी संभालते ही इस फाइल में दस्तखत किए थे. इस फैसले पर कांग्रेस की खूब वाहवाही हुई और लेकिन शुरू से ही इसको लेकर किसानों में ऊहापोह की स्थिति है. हालत यह है कि किसानों अब भटक रहे हैं. लेकिन निपानिया के शिवलाल, और शिवनारायण दोनों अपनी बैंक पासबुक के साथ सरकारी दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं. दोनों पर 20000 से ज्यादा का कर्ज है लेकिन माफी मिली है 13 रुपये की. शिवपाल का कहना है, 'सरकार कर्जा माफ कर रही है तो मेरा पूरा माफ होना चाहिये, 13 रुपये, 5 रुपये इतने की तो हम बीड़ी पी जाते हैं'.
निपानिया के शिवलाल और शिवनारायण के नाम पर कर्जमाफी की लिस्ट में 13 रु. आये. हैं दोनों पर 20000 से ज्यादा का कर्ज़ है @ndtvindia @shailendranrb @ajaiksaran @shailgwalior pic.twitter.com/lEp0TFkukg
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) January 22, 2019
लेकिन इस फॉर्म को भरने के बाद खरगौन के किसान भी हैरान हैं कई के नाम 25, 50, 150, 180 और 300 रुपये तक दर्ज हैं. किसान रतन लाल महाजन का कहना है कि उन्होंने 2 साल से कोई कर्ज नहीं लियाफिर भी उनके नाम के आगे 180 रु. कर्जमाफी लिखा है. हमीद खां जो मुख्यमंत्री कमलनाथ के क्षेत्र छिंदवाड़ा से हैं, उनके ऊपर 10000 रुपये का कर्ज है लेकिन माफ हुए हैं मात्र 232 रुपये. हमीद खां उम्मीद जताते हुए कहते हैं, 'माफ होना चाहिये पूरा पैसा, बड़े किसानों का 2 लाख माफ हो रहा है, यहां तो छोटे काश्तकार हैं. वहीं आगर मालवा के नारायण सिंह ने एक लाख रुपये का कर्ज लिया था लेकिन उनका नाम 2 लाख रुपये के कर्ज वाली लिस्ट में है. वहीं परसुखेड़ी के भगवान सिंह के पास 4 बीघा ज़मीन है और उनके ऊपर 2,63,000 का कर्ज है लेकिन उनका नाम किसी भी लिस्ट में नहीं है.
वहीं अंग्रेजी में नाम आने की बात पर बैंक अधिकारियों का कहना है कि उनके पास हिन्दी में सॉफ्टवेयर नहीं है. वहीं सरकार का कहना है कि कोई चूक है उसको ठीक किया जाएगा. बीजेपी का कहना है सरकार किसानों को छलावा दे रही है इसका परिणाम लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को भुगतना होगा.
कर्जमाफी को लेकर हमनें पहले की थी स्टडी: कमलनाथ
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