मध्यप्रदेश में बड़वानी के जांगरवा गांव में गुरूवार को 58 साल के एक शख्स की मौत हो गई. मामला नर्मदा घाटी में पुनर्वास से जुड़ा है, परिजनों का आरोप है कि अधिकारियों के घर खाली कराने के दौरान डराने धमकाने से लक्ष्मण गोपाल की सदमे से मौत हो गई. गुरूवार दोपहर एसडीएम अभयसिंह ओहरिया, तहसीलदार पुलिस की उपस्थिति में घरों को खाली करवा रहे थे, इसी दौरान श्रीराम गणपत के घर को खाली करवाने के दौरान परिवार के सदस्यों से जब वो बात कर रहे थे, उस वक्त परिवार के एक सदस्य लक्ष्मण गोपाल बहुत डर गए और सदमे में उनकी मौत हो गई.
गांववालों का आरोप है कि सरकार धमकाकर प्रभावितों को उनके गांवों सिर्फ हटा रही है. उनके पुनर्वास की कोई बात नहीं कर रही है. न तो पुनर्वास लाभ प्रदान किए जा रहे हैं और न ही इस बारे में कोई आश्वासन दिया जा रहा है. नर्मदा का जलस्तर लगातार बढ़ने में बाद प्रशासन भी डूब क्षेत्र में आ रहे लोगों को हटाने में लगा हुआ है. गुरुवार को भी प्रशासनिक टीम ने ग्राम जांगरवा पंहुच कर डूब में आ रहे लोगो को हटाना शुरू किया. तभी घर से सामान ले जा रही टीम को रोक रहे लक्ष्मण की हार्ट अटैक से मौत हो गई.
इसके बाद उनके परिजनों ने शव को सड़क पर रख कर हंगामा शुरू कर दिया. नर्मदा बचाओ आंदोलन का आरोप है कि यह साधारण मौत नही है, इस मौत के बाद अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए. वहीं लक्ष्मण की मौत के बाद हंगामे के बीच एसडीएम अभयसिंह ओहरिया पर जब भीड़ टूट पड़ी तो वह खेतों के रास्ते भागने लगे. एसडीएम के भागने पर गुस्साए गांववालों ने उनका पीछा किया, ऐसे में पुलिसवालों ने सुरक्षा घेरा बनाकर अधिकारियों को गांव से बाहर निकाला.
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