प्रधानमंत्री आवास योजना में भागीदारी के हिस्से को लेकर केंद्र और मध्यप्रदेश सरकार में ठन गई है. राज्य सरकार ने आवास बनाने में लक्ष्य तो कम कर ही दिया है, जो घर बन रहे हैं उसमें भी अपनी हिस्सेदारी लिखी जा रही है. विधानसभा चुनावों से पहले शिवराज सरकार ने घर-घर मोदी को महज़ नारा नहीं रहने दिया, प्रधानमंत्री आवास योजना में टाइल्स में दो तस्वीरें लगाकर इसे कई घरों में पहुंचाया भी. राज्य में सरकार बदली तो टाइल्स भी बदल गईं. सरकार का तर्क है चूंकि योजना में 60 फीसद रकम केन्द्र देता है, 40 फीसद राज्य, इसलिए घरों के बाहर अब भागीदारी का उल्लेख दीवार पर किया गया है.
ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा इंदिरा आवास योजना में राज्य का अंश 20 फीसद होता था उसे बढ़ाकर 40 फीसद कर दिया, जिसकी वजह से मकान बनाने में विसंगति है. जब मध्यप्रदेश सरकार 40 फीसदी हिस्सा दे रही है तो जो सही बात है वो प्रचारित करने में बुराई नहीं है. श्रेय एक व्यक्ति को क्यों मिले.
फिलहाल चार लाख घरों में ऐसी पुताई होगी. हिस्सेदारी की यह स्टाइल बीजेपी को पसंद नहीं. पूर्व मंत्री और नरेला से बीजेपी विधायक विश्वास सारंग ने कहा ''आप (कमलनाथ सरकार) लगातार मध्यप्रदेश को जो कोटा मिला वो कम कर रहे हैं. आपके पास पैसा नहीं है, 40 प्रतिशत नहीं लगाना चाहते लेकिन श्रेय लेना चाहते हैं. इस राजनीति को जनता समझती है वो जानती है गरीबों के लिए जो घर बन रहे हैं उसकी वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.''
मध्यप्रदेश : राजनीति में उलझ गई लोगों की अपने घर की आस, प्रधानमंत्री आवास योजना का लक्ष्य घटा
वैसे श्रेय लेना एक बात है, लेकिन राज्य सरकार लगातार इस योजना में घर बनाने के लक्ष्य कम करती जा रही है. प्रधानमंत्री आवास योजना फेस-2 में केन्द्र ने मध्यप्रदेश को 830100 घरों का लक्ष्य दिया. राज्य सरकार ने 230000 घर पहले ही बनाने में असमर्थता जताई. जो लक्ष्य खुद तय किया उसमें भी राज्य सरकार ने 391911 घरों की मंजूरी ही भेजी है. मकानों के लिए पंजीयन हुए हैं 325845, जबकि घर बने हैं 64354.
विधानसभा चुनाव से पहले हाईकोर्ट के आदेश पर शिवराज सरकार को घर-घर मोदी टाइप टाइल पहुंचाना भारी पड़ा था, अब क्रेडिट लेने की बारी कमलनाथ सरकार की है. वैसे दोनों सरकारों के वक्त एक बात समान थी गरीबों को घर वक्त पर नहीं मिले.
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