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This Article is From May 04, 2020

लॉकडाउन के मद्देनजर देशभर में मजदूरों की समस्या के ख‍िलाफ 24 घंटे के सत्याग्रह पर बैठीं मेधा पाटकर

मेधा ने आरोप लगाया कि राज्य और राज्य के बीच, केंद्र और राज्य के बीच कोई सामंजस्य नहीं है. जो व्यवस्थाएं विद्यार्थियों के लिए की गईं वो मजदूरों के लिए नहीं की गई, यही सूझबूझ नहीं है इस देश में.

लॉकडाउन के मद्देनजर देशभर में मजदूरों की समस्या के ख‍िलाफ 24 घंटे के सत्याग्रह पर बैठीं मेधा पाटकर
24 घंटे के सत्याग्रह पर बैठीं मेधा पाटकर
भोपाल:

Coronavirus Lockdown: मेधा पाटकर देशव्यापी मजदूरों की समस्या को लेकर 24 घंटे के सत्याग्रह पर बैठ गई हैं. मेधा ने बयान देते हुए कहा कि 'देश के श्रमिक हर क्षेत्र में अपना योगदान देते हैं वो चाहे जीडीपी में हो, उत्पादन में हो या वितरण में हो. लेकिन उनका कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा है. मजदूर मालिकों से बगैर वेतन लिए घर के लिए निकल पड़े हैं. न राशन मिला न राहत, हर किसी को मुफ्त में न सही कुछ पैसे में राशन दिया जाए. लेकिन एक व्यक्ति का 5 किलो अनाज में महीना नहीं बीत सकता. ऐसी स्थिति में लॉकडाउन बगैर नोटिस दिए अचानक लागू किया, आज हजारों मजदूर नेशनल हाईवे पर पैदल चल पड़े हैं. हर राज्य अपनी सीमा पर मेडिकल टेस्ट करता है लेकिन वो आगे का राज्य मान्य नहीं करता है और न ही कोई सर्टिफिकेट या पास जारी करता है. मजदूर जो भाड़े पर वाहन ला रहे हैं उससे नहीं जा सकते. उसका कोई मतलब नहीं. लेकिन हर एक मिनट पर जो वाहन हाईवे से गुजर रहे जिनमें औद्योगिक उत्पादित या खेती उत्पादित वस्तुएं जा रही हैं, जिसे मालिक नहीं मजदूर की मेहनत लगती है. लेकिन उस ट्रक पर मजदूर बैठाने का काम पुलिस नहीं कर रही. इस पूरी व्यवस्था में अव्यवस्था कारण है. मजदूर की अवमानना और उनके प्रति असेवदंनता है.'

मेधा ने आरोप लगाया कि राज्य और राज्य के बीच, केंद्र और राज्य के बीच कोई सामंजस्य नहीं है. जो व्यवस्थाएं विद्यार्थियों के लिए की गईं वो मजदूरों के लिए नहीं की गई, यही सूझबूझ नहीं है इस देश में. ये वो मजदूर हैं जो अपने माता-पिता और बच्चों के लिए मजबूरी में मजदूरी के लिए निकलते हैं. मनरेगा भी नहीं चल पा रहा है, रेल और ट्रांसपोर्ट के माध्यम से मजदूरों को राहत दी जा सकती है लेकिन कोई कहता है फंड नहीं है. पीएम केयर फंड में काफी फंड आ रहा है लेकिन वो मजदूरों के लिए नहीं है, जल्द ही इसके लिए फंड जारी किया जाए. श्रम मंत्रालय निश्चित करे कि नियमों का पालन हो. मेधा ने देश के समस्त सामाजिक संगठनों से मांग की है कि वो मांग, आवेदन या ज्ञापन तक इसे प्रतिकात्मक न करते हुए हम यह अहिंसक सत्यग्रह जारी रखें.

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