इंदौर: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पेट्रोल-डीजल को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाना चाहती है, लेकिन कांग्रेस इस विषय पर 'दोगला रवैया' अपना रही है. सीतारमण ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा कि भाजपा और उसकी अगुवाई वाली केंद्र सरकार शुरुआत से ही पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के पक्ष में है क्योंकि इस कदम से जनता को फायदा होगा, लेकिन इस विषय में फैसले का अधिकार जीएसटी परिषद को है.
उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा पर निशाना साधते हुए कहा, 'पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाए जाने से रोकने वाले कौन लोग हैं? अगर प्रियंका पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए जाने के पक्ष में हैं, तो उन्हें कांग्रेस की हर राज्य सरकार से कहना चाहिए कि वे जीएसटी परिषद में इसकी सहमति दें.''
सीतारमण ने कहा कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के मामले में 'दोगला रवैया' रखने वाली कांग्रेस से मीडिया को इस बारे में सवाल करना चाहिए.
इजराइल-हमास युद्ध के भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘जब से रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ, तब से कच्चे तेल के दामों को लेकर लगातार अटकलबाजी चल रही है और हम इससे निपटते आ रहे हैं. आपको जानकारी होगी ही कि हमने रूस से सस्ता कच्चा तेल आयात किया है.'
उन्होंने कहा, ‘‘चाहे रूस-यूक्रेन युद्ध हो या इजराइल-हमास युद्ध, दुनिया में जब भी कोई जंग होती है, तो कच्चे तेल के दामों पर असर की संभावना होती है. हम हालात पर पहले से बारीक नजर रखते आ रहे हैं.''
सीतारमण ने कहा कि सरकार टमाटर, आटा, दालों और आम जरूरत की अन्य चीजों की महंगाई पर नियंत्रण के लिए काफी पहले से कदम उठा रही है, लेकिन कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार में खाद्य मुद्रास्फीति की दर 22 महीने तक 10 फीसद से ज्यादा रही थी. उन्होंने दावा किया कि तब कांग्रेस सरकार इस महंगाई पर काबू पाने की दिशा में कुछ भी नहीं कर सकी थी.
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