छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह और बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में ओमप्रकाश चौधरी ने बीजेपी की सदस्यता ले ली.
रायपुर:
रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओमप्रकाश चौधरी ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की मौजूदगी में 'कमल' थाम लिया. बीजेपी ती सदस्यता ग्रहण करने वाले 2005 बैच के इस आईएएस अधिकारी ने 25 अगस्त को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी के लिए बड़ा दांव खेला है. चौधरी दरअसल अघरिया समुदाय से आते हैं जिसका छत्तीसगढ़ में अच्छा वर्चस्व है. माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें खरसिया से टिकट दे सकती है, जहां से नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल विधायक हैं. खरसिया सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. चौधरी स्थानीय होने के साथ युवा आइकॉन के रूप में भी यहां लोकप्रिय हैं.
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पिछले कुछ महीनों से ओपी चौधरी के नौकरी छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने की चर्चा चल रही थी. आईएएस चौधरी वर्तमान में रायपुर के कलेक्टर थे. इसके पहले वे दंतेवाड़ा में कलेक्टर रह चुके हैं. पिछले चुनाव के समय वे जनसंपर्क विभाग में थे. इसके बाद से वे सीएम डॉ रमन सिंह के करीबी और पसंदीदा अफसरों के रूप में गिने जाते रहे हैं.
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ओपी चौधरी अपने कामों की वजह से छत्तीसगढ़ में लोकप्रिय हैं. दंतेवाड़ा की एजुकेशन सिटी हो या रायपुर में गरीब बच्चों को स्कूलों में शिक्षा के अधिकार के तहत दाखिला दिलवाने की बात हो, उन्होंने इनका प्रतिनिधित्व किया.
VIDEO : चुनाव से पहले मोबाइल, लेकिन बेकाम
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी भी सिविल सेवा छोड़कर सियासी समर में कूदे थे.
बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी के लिए बड़ा दांव खेला है. चौधरी दरअसल अघरिया समुदाय से आते हैं जिसका छत्तीसगढ़ में अच्छा वर्चस्व है. माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें खरसिया से टिकट दे सकती है, जहां से नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल विधायक हैं. खरसिया सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. चौधरी स्थानीय होने के साथ युवा आइकॉन के रूप में भी यहां लोकप्रिय हैं.
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पिछले कुछ महीनों से ओपी चौधरी के नौकरी छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने की चर्चा चल रही थी. आईएएस चौधरी वर्तमान में रायपुर के कलेक्टर थे. इसके पहले वे दंतेवाड़ा में कलेक्टर रह चुके हैं. पिछले चुनाव के समय वे जनसंपर्क विभाग में थे. इसके बाद से वे सीएम डॉ रमन सिंह के करीबी और पसंदीदा अफसरों के रूप में गिने जाते रहे हैं.
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ओपी चौधरी अपने कामों की वजह से छत्तीसगढ़ में लोकप्रिय हैं. दंतेवाड़ा की एजुकेशन सिटी हो या रायपुर में गरीब बच्चों को स्कूलों में शिक्षा के अधिकार के तहत दाखिला दिलवाने की बात हो, उन्होंने इनका प्रतिनिधित्व किया.
चौधरी को नक्सल प्रभावित इलाके में अपने बेहतरीन काम के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है.कर्तव्य पथ पर जो भी मिला,
— O P Choudhary (@OPChoudhary_CG) August 28, 2018
यह भी सही, वह भी सही..
वरदान नहीं माँगूँगा,
हो कुछ, पर हार नहीं मानूँगा..
अटल जी के इन शब्दों को दिल में रखते हुए, मैंने माननीय श्री @AmitShah जी और माननीय @DrRamanSingh जी की उपास्तिथि में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। pic.twitter.com/u3y3BWfRow
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गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी भी सिविल सेवा छोड़कर सियासी समर में कूदे थे.
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