बिलासपुर: प्रदेश की सड़कों पर आवारा मवेशियों के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीर मसला माना है. हाईकोर्ट के मुताबिक उन्होंने खुद शहर की सड़कों पर घूमकर देखा है और स्थिति खराब पाई है. हाईकोर्ट ने मामले में नेशनल हाईवे, निगम व अन्य से जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने पूछा कि इस मुद्दे पर अभी तक क्या किया गया है और आगे का क्या सुझाव है. इसकी पूरी जानकारी कोर्ट में पेश करें. इसी निर्देश के साथ ही हाईकोर्ट ने अंतिम सुनवाई आगामी गुरुवार को तय की है. इससे पहले भी इसी तरह के एक मामले में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे कि सड़कों पर नजर आने वाले आवारा मवेशी बेहतर ढंग से संचालित किए जा रहे गौशालाओं में ही रखे जाएं, कहीं और नहीं.
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सड़क सुरक्षा के मद्देनजर राष्ट्रीय राजमार्ग में घूमने वाले आवारा पशुओं को नहीं हटाने से हो रहे सड़क हादसों समेत अन्य बिन्दुओं के खिलाफ संजय रजक और राजेश चिकारा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग समेत पंचायत एवं ग्रामीण विभाग विभाग को नोटिस जारी करते हुए विगत एक साल में सड़क से हटाए गए आवारा पशुओं की जानकारी मांगी थी.
इसके साथ ही मवेशी मालिकों पर की गई कार्रवाई, शहरी गौठानों की संख्या, कांजी हाउस की संख्या, काउ केचरों की संख्या, कार्यरत कर्मचारियों की संख्या, निकाय सीमा क्षेत्र में डेयरियों की संख्या, एक कांजी हाउस और गौठान में एक वर्ष में आने वाले खर्च, रेडियम पट्टी पहनाए गए मवेशियों की संख्या की जानकारी मांगी गई थी.
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हाईकोर्ट के नोटिस के बाद नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने नगरीय निकायों से जानकारी मांगी थी, इसमें भी कहा गया कि मवेशियों के कारण ट्रैफिक में समस्या तो हो रही है. इसके बाद अधिकारियों ने माहवार आंकडे दिखाने के लिए मवेशियों की धरपकड़ भी की थी. हालांकि यह सब कुछ दिन चला और मामला जस का तस हो गया.
एक्स डिफेंस ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसिएशन व अन्य द्वारा बिलासपुर शहर में सीवेज, सड़कों पर मवेशी समेत अन्य मुद्दों को लेकर 2011 में जनहित याचिका लगाई थी. इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य शासन से जवाब मांगा था. इसके बाद नगर निगम ने आवारा मवेशियों को पकड़कर गोकुल नगर शिफ्ट करने की मुहिम तो चलाई, लेकिन यह नाकाफी साबित हुई. आज भी लगभग हर सड़क पर आवारा मवेशियों को भटकते देखा जा सकता है.
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आमतौर पर ऐसे मवेशी रातों में सड़क हादसों के भी शिकार होते हैं. सड़कों, गलियों और सार्वजनिक स्थल पर प्रदेश भर में आवारा मवेशियों का नज़र आना आम हो गया है. किसान और डेयरी संचालक अपने मवेशियों को सड़कों पर छोड़ देते हैं. नगर निगम इसके खिलाफ कार्रवाई तो करती है, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहा है.
इसे लेकर चिरमिरी में रहने वाले राजकुमार मिश्रा ने भी हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी. इसमें उन्होंने सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर हमेशा नज़र आने वाले मवेशियों और उससे आम लोगों को हो रही परेशानियों की तरफ ध्यान दिलाते हुए उचित कार्रवाई का निर्देश देने की मांग की थी. याचिका में कहा गया कि अमूमन हर शहर में कमोबेश यही स्थिति है.
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हाईकोर्ट ने भी इस तथ्य से सहमति जताई कि सड़क मार्ग से बिलासपुर से रायपुर जाने के दौरान सड़कों पर असंख्य आवारा मवेशी नजर आते हैं. यहां तक कि करीब हर यात्रा के दौरान सड़क पर मरे हुए मवेशी भी दिखते हैं, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
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