वंशवाद को लेकर अक्सर दूसरे दलों पर हमलावर रहने वाली बीजेपी के नेता अपने पुत्रों को राजनीतिक प्लेटफॉर्म देने में जुट गए हैं. मध्यप्रदेश बीजेपी में नेताओं ने अपने बच्चों को सड़क के रास्ते सत्ता पर बिठाने का प्लान ढूंढा है. प्लान कमलनाथ सरकार के खिलाफ आंदोलन का है. इसकी कमान शिवराज सिंह चौहान से लेकर कई नेता पुत्रों के हाथ में रहेगी... नाम रहेगा भारतीय जनता युवा मोर्चा का. भारतीय जनता युवा मोर्चा के बैनर तले आंदोलन को संभालेंगे कुल 31 युवा नेता जिसमें 10 बड़े नेता पुत्र भी हैं.
शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय चौहान, सांसद प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा, नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर, पूर्व मंत्री गौरी शंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार, नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा, दीपक जोशी के बेटे जयवर्धन जोशी, अर्चना चिटनीस के बेटे समर्थ चिटनीस, सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान जैसे कई नाम मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को घेरने के लिए सड़क पर उतनरे वालों में शामिल होंगे.
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पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय चौहान का सुझाव था कि युवा नेता घंटानाद करें, जिसकी शुरुआत मुख्यमंत्री आवास के घेराव से हो.
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हालांकि बीजेपी को नहीं लगता कि यह वंशवाद है. वह तो उल्टा कांग्रेस पर ही आरोप लगा रही है. बीजेपी प्रवक्ता राजो मालवीय ने कहा आप जिन नामों का जिक्र कर रहे हैं उनका प्रारंभिक इतिहास उठाकर देखेंगे तो वे बाल्यकाल से कार्यकर्ता हैं. वे सिर्फ इसलिए नेता नहीं बने कि किसी मां के गर्भ से पैदा हुए इसलिए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया जाएं. जो कार्यकर्ता की पद्धति से निकलकर आए हैं उन पर उंगली नहीं उठा सकते. हमको बहुत आनंद आता अगर राहुल गांधी एक तहसील के अध्यक्ष बनकर भी आते. लगता कि वास्तव में संघर्ष किया है.
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बीजेपी गांधी परिवार को लेकर कांग्रेस को घेरती रही है, तो इस प्लान पर कांग्रेस को बीजेपी पर हमला करने का मौका मिला है. कांग्रेस प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने कहा बीजेपी खुद प्लेटफॉर्म तैयार करके दे रही है. वंशवाद को लेकर कांग्रेस को कोसती है लेकिन सबसे बड़ा वंशवाद बीजेपी में है. सारे नेता पुत्रों को जवाबदारी दी है, जिसके वे लायक नहीं हैं. कार्यकर्ता जवाबदारी के लायक हैं, सालों से मेहनत कर रहे हैं. लेकिन आंदोलन का नेतृत्व उन्हें दिया जा रहा है जो नेता के पुत्र हैं. ताकि फिर नगर निगम के चुनाव हैं, वहां टिकट मिलें, महापौर का पद है. करोड़ों कार्यकर्ताओं का हक़ मार सकें इसके लिए प्लानिंग के तहत यह सब हो रहा है.
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