मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के 9 दिन बाद पूर्व कांग्रेस नेताओं समेत 28 मंत्रियों को आखिरकार रविवार को उनके विभागों बंटवारा कर दिया जाएगा. मंत्रियों में विभागों को बंटवारें में देरी से ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादारों को एडजस्ट करने के लिए सत्तारूढ़ बीजेपी में खींचतान के बारे में अटकलें शुरू हो गई थीं, जिनके 22 विधायकों के साथ कांग्रेस से बाहर निकलने के कारण इस साल मार्च में कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी.
ग्वालियर पहुंचे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों के विभागों में बंटवारे में देरी के बारे में पूछे जाने पर कहा, "मैं इसे कल (रविवार को) करूंगा. "
दूसरी बार 2 जुलाई को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने के बाद, शिवराज चौहान ने नई दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की, ताकि मंत्रियों के विभागों के बंटवारे पर चर्चा की जा सके, जोकि ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में एक राजनीतिक खींचतान का मुद्दा बन गया है.
28 मंत्रियों में सिंधिया के कम से कम एक दर्जन वफादार शामिल हैं. मंत्रिमंडल में उनके शामिल होने से कथित तौर पर राज्य के कई मंत्री नाराज हो गए थे.
सिंधिया खेमे के दो मंत्री तुलसी सिलावट और गोविन्द सिंह राजपूत पहले से ही हैं. इसी के साथ कमलनाथ की पूर्व सरकार गिराने वाले 22 बागियों में से 14 बागी मंत्री बने हैं. ये सभी 14 मंत्री वर्तमान में विधायक नहीं हैं. इनमें से अधिकतर सिंधिया समर्थित नेता हैं.
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री को कई उम्मीदवारों के नाम वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा जिन्हें उन्होंने पार्टी नेतृत्व को सुझाव दिया था. मध्य प्रदेश में कैबिनेट विस्तार मार्च महीने से लंबित था. जब राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर कांग्रेस की सरकार गिरा दी थी और बीजेपी में शामिल हो गए थे.
(इनपुट एजेंसी भाषा से भी)
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