2001 में एक एजेंट के माध्यम से अबू सलेम ने भोपाल में फर्जी पासपोर्ट बनाए थे
मुंबई बम धमाकों के मामले में अबू सलेम को 25 साल की सज़ा हुई है. सलेम के देश से भागने की कहानी और वापसी के रास्ते से एक शहर जुड़ता है वो है भोपाल. भोपाल से सलेम ने अपनी पत्नी समीरा जुमानी और मोनिका बेदी का पासपोर्ट बनवाया था. ये तय हो गया है कि पुर्तगाल से भारत आकर सलेम अब सालों तक जेल में रहेगा. वैसे मुंबई बम धमाकों के बाद उसकी पूरी योजना ज्यूरिख में बसने की थी. इस काम में उसकी मदद की थी, सलेम के पूर्व साथी भोपाल के सैयद अब्दुल जलील यानी शिराज ने. शिराज ने ना सिर्फ तीन पासपोर्ट बनवाने में सलेम की मदद की बल्कि पासपोर्ट में पता भी अपने घर का दिया.
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इस काम के लिए साल 2001 भोपाल में एजेंट को 35 हजार रुपये प्रति पासपोर्ट की दर से पासपोर्ट बनवाने का जिम्मा दिया गया. सबके राशन कार्ड भी बनवाए गए. अबू सलेम का दानिश बेग, समीरा जुमानी का रुबीना बेग और मोनिका बेदी का फौजिया उस्मान के फर्जी नाम से पासपोर्ट बनवाए गए थे. ये पासपोर्ट क्षेत्रीय कार्यालय से जारी किए गए. इस पर भोपाल के कोह-ए-फिजा थाने में 2001 में मामला दर्ज कराया गया था.
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शिराज ने बताया, 'मैंने पासपोर्ट बनवाने के लिये सारे दस्तावेज़ दिए थे. उस वक्त सारे दस्तावेज आसानी से मिल गए थे. कानूनी तरीके से ही पासपोर्ट बना था सिर्फ नाम मेरा था, क्योंकि उस वक्त चेहरे से कोई नहीं जानता था कि सलेम कौन है. पता भी मेरे घर का था क्योंकि उस वक्त हम सब साथ थे. मोनिका के पासपोर्ट में बतौर पति मेरा नाम दर्ज था.'
VIDEO: 1993 मुंबई धमाकों में दोषियों को मिली सज़ा
बाद में इस मामले में शिराज सरकारी गवाह बन गया. शिराज का आरोप है, कई बार सलेम ने उसे जान से मरवाने के लिए शूटर भी भेजे. शिराज ने बताया कि अबू सलेम के पास और भी पासपोर्ट थे. वह नई पहचान बनाकर कहीं और सेट होना चाहता था. ज्यूरिख, लंदन भी उसके प्लान में था. शिराज ने बताया कि उसे जानकारी मिली थी कि सलेम विदेश में सेट होने के बाद उसे मरवा देगा. पासपोर्ट बनवाने के बाद सलेम मोनिका बेदी के साथ भोपाल में भी रहा था.
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इस काम के लिए साल 2001 भोपाल में एजेंट को 35 हजार रुपये प्रति पासपोर्ट की दर से पासपोर्ट बनवाने का जिम्मा दिया गया. सबके राशन कार्ड भी बनवाए गए. अबू सलेम का दानिश बेग, समीरा जुमानी का रुबीना बेग और मोनिका बेदी का फौजिया उस्मान के फर्जी नाम से पासपोर्ट बनवाए गए थे. ये पासपोर्ट क्षेत्रीय कार्यालय से जारी किए गए. इस पर भोपाल के कोह-ए-फिजा थाने में 2001 में मामला दर्ज कराया गया था.
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शिराज ने बताया, 'मैंने पासपोर्ट बनवाने के लिये सारे दस्तावेज़ दिए थे. उस वक्त सारे दस्तावेज आसानी से मिल गए थे. कानूनी तरीके से ही पासपोर्ट बना था सिर्फ नाम मेरा था, क्योंकि उस वक्त चेहरे से कोई नहीं जानता था कि सलेम कौन है. पता भी मेरे घर का था क्योंकि उस वक्त हम सब साथ थे. मोनिका के पासपोर्ट में बतौर पति मेरा नाम दर्ज था.'
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बाद में इस मामले में शिराज सरकारी गवाह बन गया. शिराज का आरोप है, कई बार सलेम ने उसे जान से मरवाने के लिए शूटर भी भेजे. शिराज ने बताया कि अबू सलेम के पास और भी पासपोर्ट थे. वह नई पहचान बनाकर कहीं और सेट होना चाहता था. ज्यूरिख, लंदन भी उसके प्लान में था. शिराज ने बताया कि उसे जानकारी मिली थी कि सलेम विदेश में सेट होने के बाद उसे मरवा देगा. पासपोर्ट बनवाने के बाद सलेम मोनिका बेदी के साथ भोपाल में भी रहा था.