मध्य प्रदेश के मुरैना में जिला अदालत के बाहर बड़ी संख्या में खड़े आवेदनकर्ता
भोपाल:
मध्य प्रदेश की ज़िला अदालतों में रविवार को भीड़ उमड़ी, किसी मामले के लिये नहीं बल्कि भर्ती के लिये. कुल 738 चालक, चपरासी, माली, स्वीपर के पदों के लिये ढाई लाख से ज्यादा युवकों ने आवेदन भरा. कई ज़िलों में इतनी भीड़ उमड़ी की पुलिस को हल्का लाठी चार्ज भी करना पड़ा. उज्जैन में भीड़ देखकर ऐसा लगा जैसे शहर में फिर से कुंभ मेला लग गया हो. ज़िला अदालत में 16 पदों के लिए 5000 से ज्यादा आवेदक उज्जैन पहुंचे. वैसे आवेदन भरने वाले लगभग 7500 हजार थे जिसमें बीए, बीकॉम से लेकर बीटेक पास उम्मीदवार भीड़ का हिस्सा थे. उज्जैन के सीएसपी सतीश समाधिया ने कहा, 'ये जिला कोर्ट के 16 पोस्ट के लिए आवेदन करने अभ्यर्थी आये हैं, करीब 7000 लोग पंहुचे हैं. हमने व्यवस्था चाक चौबंद की है, आज इनका वेरिफिकेशन है.'
भीड़ में शामिल हरपाल ने कहा, 'मैंने चपरासी के लिए आवेदन किया है, यहां व्यवस्था अच्छी नहीं है, मैंने बी कॉम और एमकॉम किया है.' वहीं एमए, बीएड महेश भी चौकीदार की नौकरी के लिये पहुंचे थे जो निजी स्कूल में शिक्षक हैं. प्रकाश हिंदी साहित्य में एमए हैं लेकिन सरकारी नौकरी की चाहत उन्हें लाइन तक खींच लाई. वहीं अजित बी.टेक हैं, उनका कहना था कि वो सरकारी नौकरी के लिये हर जगह आवेदन करते हैं इसलिये उज्जैन की लाइन में भी खड़े हैं.
स्पेशल रिपोर्ट : मध्य प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी के बीच युवाओं ने किया बेरोजगार सेना का गठन
मुरैना जिला न्यायालय में 22 पदों को भरने तकरीबन 4000 उम्मीदवार आ गये, फॉर्म 5400 लोगों ने भरा था. प्रशासन ने भी नहीं सोचा था कि इंटरव्यू के पहले दिन इस कदर युवाओं की भीड़ उमड़ पड़ेगी कि पुलिस को उन्हें काबू करने के लिए डंडे निकालने पड़ेंगे. राज्य में ज़िला अदालतों में चतुर्थ श्रेणी के 738 पद निकले, आवेदन आए 2 लाख 81000. सबसे ज्यादा 70,000 उम्मीदवारों ने ग्वालियर में फॉर्म भरा. अकेले ग्वालियर में आवेदन से सरकारी तिजोरी में 1 करोड़ 20 लाख रुपए जमा हो गए.
राज्य में बेरोजगारी भयावह होती जा रही है, एक अनुमान कहता है राज्य में हर छठे घर में एक युवा बेरोजगार है और हर 7वें घर में एक शिक्षित युवा बेरोजगार बैठा है. रोजगार देने वाले मंत्रीजी मानते हैं समस्या है, लेकिन समाधान के नाम पर अपनी पीठ थपथपाने लगते हैं. उद्योग और रोज़गार मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा, 'गंभीरता के साथ समस्या के लिये काम हुए हैं. जितने विभाग हैं सबमें अमला दोगुना हुआ है.' लेकिन जब हमने सवाल पूछा कि सरकारी महकमों में ही 1 लाख से ज्यादा पद रिक्त हैं तो शुक्ल का जवाब था कि भर्ती की प्रक्रिया अलग-अलग चरणों में है.
VIDEO: प्राइम टाइम : बेरोज़गारों की सुध आख़िर कौन लेगा?
हालांकि कांग्रेस को लगता है कि रोज़गार सिर्फ मंत्री पुत्रों को मिला है. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा, 'सरकार के पास वो इंफ्रास्ट्रक्टर नहीं जिससे रोजगार का सृजन हो, जो कारोबार हैं वो बंद हो रहे हैं. नोटबंदी का भी असर पड़ा है. विषम परिस्थियों में रोजगार सरकार शब्दों में देने की कोशिश कर रही है जो अन्याय है. बहरहाल लाखों की ये भीड़ 18 फरवरी तक यूंही अदालतों में जुटेगी इस उम्मीद के साथ कि 738 उम्मीदवारों में एक नाम उनका भी हो.
भीड़ में शामिल हरपाल ने कहा, 'मैंने चपरासी के लिए आवेदन किया है, यहां व्यवस्था अच्छी नहीं है, मैंने बी कॉम और एमकॉम किया है.' वहीं एमए, बीएड महेश भी चौकीदार की नौकरी के लिये पहुंचे थे जो निजी स्कूल में शिक्षक हैं. प्रकाश हिंदी साहित्य में एमए हैं लेकिन सरकारी नौकरी की चाहत उन्हें लाइन तक खींच लाई. वहीं अजित बी.टेक हैं, उनका कहना था कि वो सरकारी नौकरी के लिये हर जगह आवेदन करते हैं इसलिये उज्जैन की लाइन में भी खड़े हैं.
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मुरैना जिला न्यायालय में 22 पदों को भरने तकरीबन 4000 उम्मीदवार आ गये, फॉर्म 5400 लोगों ने भरा था. प्रशासन ने भी नहीं सोचा था कि इंटरव्यू के पहले दिन इस कदर युवाओं की भीड़ उमड़ पड़ेगी कि पुलिस को उन्हें काबू करने के लिए डंडे निकालने पड़ेंगे. राज्य में ज़िला अदालतों में चतुर्थ श्रेणी के 738 पद निकले, आवेदन आए 2 लाख 81000. सबसे ज्यादा 70,000 उम्मीदवारों ने ग्वालियर में फॉर्म भरा. अकेले ग्वालियर में आवेदन से सरकारी तिजोरी में 1 करोड़ 20 लाख रुपए जमा हो गए.
राज्य में बेरोजगारी भयावह होती जा रही है, एक अनुमान कहता है राज्य में हर छठे घर में एक युवा बेरोजगार है और हर 7वें घर में एक शिक्षित युवा बेरोजगार बैठा है. रोजगार देने वाले मंत्रीजी मानते हैं समस्या है, लेकिन समाधान के नाम पर अपनी पीठ थपथपाने लगते हैं. उद्योग और रोज़गार मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा, 'गंभीरता के साथ समस्या के लिये काम हुए हैं. जितने विभाग हैं सबमें अमला दोगुना हुआ है.' लेकिन जब हमने सवाल पूछा कि सरकारी महकमों में ही 1 लाख से ज्यादा पद रिक्त हैं तो शुक्ल का जवाब था कि भर्ती की प्रक्रिया अलग-अलग चरणों में है.
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हालांकि कांग्रेस को लगता है कि रोज़गार सिर्फ मंत्री पुत्रों को मिला है. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा, 'सरकार के पास वो इंफ्रास्ट्रक्टर नहीं जिससे रोजगार का सृजन हो, जो कारोबार हैं वो बंद हो रहे हैं. नोटबंदी का भी असर पड़ा है. विषम परिस्थियों में रोजगार सरकार शब्दों में देने की कोशिश कर रही है जो अन्याय है. बहरहाल लाखों की ये भीड़ 18 फरवरी तक यूंही अदालतों में जुटेगी इस उम्मीद के साथ कि 738 उम्मीदवारों में एक नाम उनका भी हो.
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