
- ईडी ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के 25 हजार करोड़ के घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रोहित पवार आदि के खिलाफ नई चार्जशीट दाखिल की है.
- रोहित पवार, शरद पवार के पौत्र हैं और उनकी पार्टी से विधायक हैं. रोहित ने आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए अदालत में जवाब देने की बात कही है.
- MSCB घोटाले में 97 आरोपी हैं, लेकिन मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने सभी को क्लीन चिट दे रखी है. ईडी ने क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी है.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 25 हजार करोड़ रुपये के कथित महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (MSCB) घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में विशेष अदालत के सामने एक नई चार्जशीट पेश की है. इसमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार और कुछ अन्य लोगों के नाम भी हैं. रोहित पवार वरिष्ठ एनसीपी नेता शरद पवार के पोते हैं. रोहित ने दावा किया है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है, राजनीतिक कारणों से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. इस चार्जशीट पर अभी विशेष अदालत ने संज्ञान नहीं लिया है. आइए बताते हैं कि यह पूरा मामला क्या है? इसमें रोहित पवार की क्या भूमिका है और रोहित अपने बचाव में क्या दलीलें दे रहे हैं.
क्या है महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाला?
महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक (MSCB) का पूरा घोटाला 25 हजार करोड़ रुपये का बताया जाता है. इस घोटाले से जुड़ा ईडी का मनी लॉन्ड्रिंग मामला मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा अगस्त 2019 में दर्ज की गयी प्राथमिकी पर आधारित है. इसमें आरोप लगाया गया है कि MSCB के तत्कालीन अधिकारियों और निदेशकों ने उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना अपने रिश्तेदारों और निजी व्यक्तियों को औने-पौने दामों पर धोखाधड़ी से सहकारी चीनी कारखाना (एसएसके) बेच दिया था.
'80 करोड़ वसूली के लिए कब्जा लीं संपत्तियां'
छत्रपति संभाजीनगर में कन्नड़ एसएसके को बारामती एग्रो लिमिटेड ने खरीदा था, जो पवार की कंपनी है. ईडी ने आरोप लगाया है कि MSCB ने कन्नड़ एसएसके लिमिटेड के 80.56 करोड़ रुपये के बकाया कर्ज की वसूली के लिए 13 जुलाई 2009 को उसकी सभी संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया था. ये कार्रवाई वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण, पुनर्निर्माण व प्रतिभूति हित प्रवर्तन (Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest (SARFAESI) एक्ट के तहत की गई थी.
न क्षमता, न अनुभव फिर भी मिल गया टेंडर
इसके बाद MSCB ने 30 अगस्त 2012 को एक संदिग्ध मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर बेहद कम रिजर्व प्राइस तय करके कन्नड़ एसएसके की नीलामी की. बारामती एग्रो के अलावा दो अन्य पक्ष भी इस बोली प्रक्रिया में शामिल हुए. ईडी का कहना है कि सबसे ऊंची बोली लगाने वाले बोलीदाता को मामूली तकनीकी आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया. उसके बाद दूसरा बोलीदाता बारामती एग्रो का एक करीबी कारोबारी सहयोगी था, जिसके पास न तो कोई वित्तीय क्षमता थी और न ही चीनी मिल चलाने का कोई अनुभव था.
सप्लीमेंट्री चार्जशीट में 11 नाम जोड़े थे
ईडी ने सितंबर 2023 में दो सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करके शरद पवार गुट के तत्कालीन विधायक प्रजाक्त तानपूरे, प्रसाद तानपूरे, एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना के तब के विधायक अर्जुन खोटकर, पूर्व कांग्रेस मिनिस्टर रंजीत देशमुख, सुभाष देशमुख, उद्योगपति समीर मुलय बिजनेसमैन जुगल तपाड़िया समेत 11 लोगों को नामजद किया था.
अजित पवार की कंपनी का भी नाम
2023 में ईडी ने जरंदेश्वर शुगर मिल्स के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, जो कि अजित पवार से संबंधित है. उस पर भी एमएससीबी घोटाले में एकजैसे आरोप हैं. ईडी की चार्जशीट में कंपनी से अजित पवार के संबंध का जिक्र तो किया गया था, लेकिन सीधे आरोपी के तौर पर अजित पवार का नाम नहीं था. ईडी ने पिछले साल रोहित पवार के बयान दर्ज करने के बाद कन्नड़ सहकारी सहकार कारखाना लिमिटेड की 50 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली थी.
'ईडी 97 लोगों को छोड़कर मेरे पीछे पड़ी है'
रोहित पवार ने पत्रकारों से दावा किया कि ईडी ने जब प्राथमिकी दर्ज की थी तो उसमें कुछ राजनीतिक नेताओं समेत 97 लोगों के नाम थे. मेरा नाम उसमें नहीं था. लेकिन जांच के दौरान ईडी ने 97 लोगों को एक तरफ रखा और उनके खिलाफ जांच शुरू की. उन्होंने दावा किया कि एफआईआर में जिन 97 लोगों के नाम हैं, उनमें से कई अब बीजेपी, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना या अजित पवार की एनसीपी से जुड़े हैं.
पूछताछ में हर सवाल का जवाब दे चुका: रोहित
रोहित ने कहा कि बारामती एग्रो द्वारा चीनी मिल खरीदने से पहले, यह यूनिट एक प्रशासक के कंट्रोल में थी क्योंकि उसका कोई उचित रूप से निर्वाचित निदेशक मंडल नहीं था. एडमिनिस्ट्रेटर ने ही टेंडर जारी किया था, जिसे बाद में बारामती एग्रो ने उचित प्रक्रिया के जरिए प्राप्त किया. रोहित पवार ने कहा कि 2024 में मुझे पूछताछ के लिए दो बार ईडी कार्यालय बुलाया गया था. 12 घंटे तक पूछताछ की गई. मैंने ईडी अधिकारियों को सारी जानकारी दी. उन्होंने हर चीज़ की जांच की. वे चीनी मिल भी गए. उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी ने मिल पर प्रतीकात्मक कब्ज़ा कर लिया है, फिर भी मैं ही उसे चला रहा हूं. इस वजह से किसी भी किसान को समस्या नहीं होगी.
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