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This Article is From Dec 26, 2016

नोटबंदी : नगदी संकट से देश के सबसे बड़े कैंसर अस्पताल में मरीज और तीमारदार परेशान

नोटबंदी : नगदी संकट से देश के सबसे बड़े कैंसर अस्पताल में मरीज और तीमारदार परेशान
टाटा मेमोरियल अस्पताल.
मुंबई: नोटबंदी की मार देश के सबसे बड़े कैंसर अस्पताल टाटा मेमोरियल में इलाज कराने आए मरीजों पर भी पड़ रही है, खासकर जिनकी हालत अच्छी नहीं है. मरीजों के तीमारदारों को भी बाहर खाने से लेकर रोजाना अस्पताल आना-जाना बगैर नकदी के बहुत भारी पड़ रहा है.
 
tata memorial hospital mumbai

 नासिर यूपी से मुंबई अपने भांजे का इलाज करवाने आए हैं. अस्पताल में तो सारी जरूरतें स्मार्ट कार्ड से पूरी हो जाती हैं लेकिन तीन लोगों के अस्पताल आने-जाने बाहर खाना खाने में छुट्टे नहीं मिलने से उन्हें बहुत परेशानी हो रही है. नासिर ने कहा वैसे हमें अस्पताल में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन एटीएम से पैसे निकाले तो 2000 मिले. ऐसे में टैक्सी वाले के पास छुट्टे नहीं थे. बाहर वड़ा-पाव खरीदा, वहां भी छुट्टे के लिए बहुत किचकिच हुई ... ऐसी बातों से परेशानी होती है.

कानपुर से आए आनंद गुप्ता और अमरावती के दिलीप कोले भी परेशान हैं. दिलीप के पास स्मार्ट कार्ड है लेकिन उन्होंने बताया कि जब मैं कैमिस्ट के पास गया तो उसके पास छुट्टा नहीं था इसलिए मुझे 3000 का कैश भरवाना पड़ा.
 
tata memorial hospital mumbai

देशभर में हर साल कैंसर औसतन दस लाख लोगों को अपने चंगुल में लेता है. टाटा मेमोरियल में औसतन हर दिन ओपीडी में ही कैंसर के हजार से ज्यादा मरीज आते हैं. अस्पताल में सालाना 12000 से ज्यादा कैंसर के ऑपरेशन होते हैं. यूं तो अस्पताल स्मार्ट कार्ड के जरिए पूरी तरह कैशलेस हो गया है लेकिन नकदी न होने की वजह से मरीजों और उनके रिश्तेदारों को और भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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