- कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने मंत्री प्रताप सरनाईक पर 200 करोड़ की जमीन 3 करोड़ में खरीदने का आरोप लगाया है
- प्रताप सरनाईक ने आरोपों को खारिज करते हुए बताया कि उनकी बहू के ट्रस्ट ने शैक्षणिक उद्देश्य के लिए जमीन खरीदी
- मंत्री ने कहा कि सभी प्रक्रिया पूरी करने और 4.50 करोड़ का पेमेंट करने के बाद ही जमीन का कब्जा लिया गया है
महाराष्ट्र की राजनीति में एक और जमीन सौदे को लेकर विवाद हो गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार ने राज्य के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक पर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि सरनाईक ने मीरा-भयंदर इलाके में करीब 200 करोड़ रुपये कीमत की सरकारी जमीन महज 3 करोड़ रुपये में खरीदी है. प्रताप सरनाईक ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने कोई जमीन नहीं हड़पी है.
कांग्रेस नेता वडेट्टीवार का आरोप है कि शैक्षणिक संस्थान बनाने के नाम पर ली गई इस जमीन में भारी अनियमितता बरती गई. आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए प्रताप सरनाईक ने कांग्रेस नेता से सबूत देने की बात कही है. सरनाईक ने बताया कि यह 8025 वर्ग मीटर जमीन है, जिसे उनकी बहू के सिद्ध्येश चैरिटेबल ट्रस्ट ने ली है. यह जमीन शैक्षणिक उद्देश्य के लिए ली गई है.
उन्होंने दावा किया कि इस जमीन के लिए 4 करोड़ 55 लाख रुपये की राशि का भुगतान करने के बाद ही कब्जा लिया गया है. जमीन शासन की सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद ली गई है. यह लेन-देन सरकारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही पूरा हुआ है.
सरनाईक ने कहा कि ऐसा लगता है कि कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार को किसी ने गलत जानकारी दी होगी, जिसकी वजह से उन्होंने तथ्यों की जांच किए बिना ऐसे आरोप लगाए हैं. उनका कहना था कि इतने बड़े नेता का इस तरह के आधारहीन आरोप लगाना ठीक नहीं है.
बता दें कि यह विवाद ऐसे समय सामने आया है, जब महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी सीएम अजित पवार अपने बेटे पार्थ के पुणे के पॉश इलाके में 300 करोड़ रुपये में जमीन खरीदने के सौदे को लेकर आरोपों में घिरे हैं. पुणे के मुंधवा इलाके में यह 40 एकड़ जमीन अमाडिया एंटरप्राइजेज नाम की कंपनी को बेची गई थी, जिसमें पार्थ पवार भागीदार हैं.
विपक्ष का आरोप है कि जमीन की कीमत 1800 करोड़ है. विवाद बढ़ने के बाद अजित पवार ने सामने आकर कहा कि डील रद्द कर दी गई है. बेटे का बचाव करते हुए उन्होंने ये भी कहा कि पार्थ को पता नहीं था कि यह सरकारी जमीन है.
इस मामले में कंपनी के एक साझेदार और एक सरकारी अधिकारी समेत तीन लोगों के खिलाफ सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है, लेकिन इसमें पार्थ का नाम न होने को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
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