विदेशों में पढ़ने का सपना कई छात्र और उनके अभिभावक पालते हैं, पैसे इकट्ठा करते हैं, सालों से मेहनत करते हैं लेकिन कोविड-19 ने कइयों की जमापूंजी बर्बाद कर दी. कोरोना के कम होते प्रकोप के बीच अब धीरे-धीरे विदेशी यूनिवर्सिटीज के दरवाजे छात्रों के लिए खुलने लगे हैं लेकिन कई परिवार आर्थिक तंगी के कारण अपना सपना पूरा नहीं कर पा रहे हैं. 2020 का आंकड़ा बताता है की स्टूडेंट वीजा में करीब 55% की गिरावट आयी है. पूजा पाटिल, मेडिकल शिक्षा के लिए रूस जाना चाहती थीं. मजदूर परिवार ने बेटी के लिए पैसे इकट्ठा भी किए लेकिन कोविड बीमारी और तंगी में जमापूंजी बर्बाद हो गई. ऐसे ही आकाश प्रवीण, इंजीनियरिंग में मास्टर्स करने के लिए विदेश जाने की तैयारी कर रहे थे, पर कोविड के दौरान इनका सपना भी चकनाचूर हो गया.
पूजा पाटिल का कहना है कि मुझे MBBS के लिए रूस जाना था, लेकिन पैसे जो जमा किए थे कोविड-19 के दौरान सब खत्म हो गए, नहीं जा पाए.
आकाश प्रवीण ने बताया कि मुझे इंजीनियरिंग में मास्टर्स के लिए विदेश जाना था, मा-पापा ने पैसे इकट्ठे किए थे. लेकिन कोविड बीमारी में खर्च और आर्थिक तंगी के कारण सपना अधूरा रह गया.
अभिभावक शोभा पाटिल का कहना है, 'बेटी को डॉक्टर, बेटे को इंजीनियर बनाने का सपना था, विदेश भेजना था. पैसे इकट्ठा किए लेकिन सब खत्म हो गया, मैं और मेरे पति मजदूरी करते हैं, कोरोना के समय सब बंद हो गया था, जमा पैसे खत्म, खाने की भी दिक्कत थी. ऐसा दिन कभी नहीं देखा.'
बताया जाता है कि 2020 में स्टूडेंट वीजा में करीब 55% की गिरावट देखी गयी, आर्थिक तंगी के बीच कोरोना के कारण अधिकांश देशों की बंद सीमाएं इसका बड़ा कारण रहीं. कुछ देशों ने छात्रों के लिए अपने दरवाजे खोले हैं, कुछ का इंतजार है. एजुकेशन काउंसलर करण गुप्ता बताते हैं की कुछ महीनों में पढ़ायी के लिए विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या में अचानक इजाफा दिखेगा.
करण गुप्ता का कहना है, 'कोरोना की वजह से हजारों विद्यार्थी जो विदेश में पढ़ना चाहते थे, नहीं जा पाए. US,UK,कनाडा सभी देश की दूतावास ने हाल ही में स्टूडेंट वीजा का डेटा जारी किया है, जिससे साफ होता है कि बेहद कम छात्र विदेश पढ़ने के लिए जा पाए. लेकिन अब हालात सुधरे हैं और यूनिवर्सिटी खुल रही हैं. अगले 2-3 महीनों में भारी संख्या में बच्चे विदेश रवाना होते दिखेंगे.'
महाराष्ट्र, छात्रों को विदेश भेजने वाले सबसे बड़े राज्यों में शामिल रहा है. यहां 2019 में जहां करीब 64,000 स्टूडेंट वीजा जारी हुए तो 2020 में ये करीब 29,000 पर आ गए. यह आंकड़ा करीब 55 फीसदी कम है.
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