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This Article is From Feb 06, 2019

महाराष्ट्र के राज्यपाल का बयान: RSS सबसे अधिक धर्मनिरपेक्ष संगठन, हम संघस्थान से आते हैं

महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने एक कार्यक्रम में आरएसएस को संघ स्थान बताया. उन्होंने कहा कि हम गर्व से ये बात कह सकते हैं कि हम यहीं से आते हैं.

महाराष्ट्र के राज्यपाल का बयान: RSS सबसे अधिक धर्मनिरपेक्ष संगठन, हम संघस्थान से आते हैं
महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने एक कार्यक्रम में आरएसएस को संघ स्थान बताया. उन्होंने कहा कि हम गर्व से ये बात कह सकते हैं कि हम यहीं से आते हैं. उन्होंने आरएसएस को सबसे धर्मनिरपेक्ष और समावेशी संगठन बताया. महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने मंगलवार को कहा कि आरएसएस सबसे धर्मनिरपेक्ष और समावेशी संगठनों में से एक है क्योंकि इसने हर व्यक्ति के मत और धर्म के पालन के अधिकार का हमेशा सम्मान किया है. पास के रामटेक में कविकुलगुरू कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय (केकेएसवी) में आरएसएस के दिवंगत सरसंघचालक गोलवलकर गुरूजी के नाम पर नये अकादमिक परिसर और गुरूकुलम के शुभारंभ के दौरान राज्यपाल ने कहा कि संघ की यात्रा शानदार और कठिन रही है.

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गुरुजी के नाम से प्रख्यात एम. एस. गोलवलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दूसरे सरसंघचालक थे.    एक आधिकारिक विज्ञप्ति में राव के हवाले से कहा गया है, ‘‘संघ के रूप में (आरएसएस संस्थापक) डॉ. के बी हेडगेवार द्वारा लगाया गया पौधा वटवृक्ष बन गया है, जिसकी शाखाएं पूरी दुनिया में हैं.''

उन्होंने कहा, ‘‘(आरएसएस की) यात्रा शानदार और कठिन रही है. संघ के सामने सबसे बड़ी चुनौती महात्मा गांधी की हत्या के बाद पैदा हुई थी, जब चार फरवरी 1948 को इस पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था.''    राव ने कहा कि गोलवलकर ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और जेल से ही राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह का आह्वान किया.    

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उन्होंने कहा, ‘‘गुरूजी ने सरकार को आरएसएस के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने की चुनौती दी या प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया. आखिरकार, गोलवलकर के निरंतर प्रयासों के कारण 12 जुलाई 1949 को पाबंदी खत्म हुई. 'राव ने कहा, ‘‘संघ के प्रतिद्वंद्वी जो कहते हैं, उसके विपरीत आरएसएस सर्वाधिक धर्मनिरपेक्ष और समावेशी संगठनों में से एक है. आरएसएस ने हर व्यक्ति के मत और धर्म के पालन के अधिकार का हमेशा सम्मान किया है.''    

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राज्यपाल ने कहा कि आरएसएस सुबह की अपनी प्रार्थना में देश के विभिन्न भागों के संतों, समाज सुधारकों और देशभक्तों को याद करता है, यह संघ के ‘समावेशी' दृष्टिकोण को दिखाता है. उन्होंने कहा कि ‘विश्व गुरू' का अपना वैभव फिर से पाने के लिए हमें ऐसी शिक्षा व्यवस्था की जरूरत है, जो भारतीय हो और जो पूछताछ, नवाचार और उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा दे. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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