
- महाराष्ट्र में पालतू जानवरों के दाह संस्कार के लिए राज्य का पहला श्मशान गृह 26 सितंबर को खुला है
- नवघर में स्थापित यह शवदाह गृह गैस आधारित है और प्राकृतिक गैस तथा प्रोपेन का उपयोग करता है
- इससे पहले जानवरों के शव खुले स्थानों में फेंकने से बदबू और बीमारी फैलने का खतरा था
पालतू जानवरों को सम्मान के साथ विदाई देने की व्यवस्था अब हकीकत में बदल गई है. महाराष्ट्र में पालतू जानवरों के दाह संस्कार के लिए बनाए गए पहले श्मशान गृह का 26 सितंबर को उद्घाटन किया गया. महाराष्ट्र राज्य परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक की संकल्पना और पहल से इसको निर्मित किया गया.
अभी तक पालतू जानवरों की मृत्यु के बाद उनके शवों को नदियों, नालों, खाड़ियों, कूड़ेदानों या फिर खुले स्थानों में फेंक दिया जाता था या फिर किसी मैदान में मिट्टी में दफना दिया जाता था. इस वजह से बदबू और बीमारी फैलने का खतरा बना रहता था. साथ ही राज्य में कहीं भी पालतू जानवरों के दाह संस्कार के लिए कोई सुसज्जित व्यवस्था नहीं थी. ऐसे में अब मंत्री सरनाईक की कोशिशों से ये श्मशान घाट बनाया गया है.

नवघर श्मशान गृह में स्थापित पालतू शवदाह गृह पूरी तरह से गैस शवदाह गृह होगा. यह एक पर्यावरण-अनुकूल सुविधा है और इस शवदाह गृह में पशुओं के शवों के दाह संस्कार के लिए प्राकृतिक गैस और प्रोपेन (एलपीजी) का उपयोग किया जाता है. इस प्रक्रिया के कारण, मृत शरीर गैस और राख जैसे मूल रासायनिक यौगिकों में परिवर्तित हो जाता है. पालतू जानवरों के लिए डिज़ाइन किया गया यह शवदाह गृह लकड़ी जलाने से होने वाले प्रदूषण को भी रोकेगा. मीरा-भायंदर शहर में दो स्थानों, नवघर और काशीमीरा, पर पालतू गैस शवदाह गृह स्थापित किए गए हैं. मंत्री सरनाईक ने स्पष्ट किया कि इनमें से पहले, नवघर श्मशान गृह का उद्घाटन हो चुका है और काशीमीरा में दूसरे श्मशान गृह का उद्घाटन जल्द ही किया जाएगा.

उद्घाटन के बाद, मीरा-भायंदर शहर के पशु-प्रेमी नागरिकों ने इस पहल का स्वागत किया और पर्यावरण संरक्षण तथा पशु-प्रेम, दोनों के समन्वय पर संतोष व्यक्त किया. इस अवसर पर मंत्री सरनाईक ने कहा, "पालतू जानवर कई घरों में परिवार के सदस्यों की तरह होते हैं. उनके अंतिम संस्कार के लिए सम्मानजनक और सुसज्जित व्यवस्था प्रदान करना समय की मांग थी. मीरा-भायंदर में स्थापित राज्य का यह पहला पशु श्मशान गृह, राज्य के अन्य शहरों के लिए एक मिसाल कायम करेगा. भविष्य में अन्य शहरों में भी ऐसी सुविधाएँ उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाएंगे. इस उद्घाटन के साथ, मीरा-भायंदर शहर में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और पशु-प्रेमियों की भावनाओं का सम्मान, तीनों एक साथ आ गए हैं."
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