महाराष्ट्र (Maharashtra) FDA के कमिश्नर अभिमन्यु काले ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया है कि प्राइवेट अस्पतालों में रेमडेसिविर (Remdesivir) के ज्यादा इस्तेमाल पर नजर रखें. जिन मरीजों को इंजेक्शन की जरूरत नहीं, उनपर इंजेक्शन बर्बाद न करें. ऐसा करने वाले निजी अस्पतालों पर कार्रवाई की जाए. उन्होंने पत्र में लिखा है कि इसे बनाने वाली 6 प्रमुख कंपनियां हैं, जो हर दिन 50 से 60 हजार इंजेक्शन महाराष्ट्र को उपलब्ध कराती हैं और राज्य में रोजाना इनकी खपत भी इतनी ही है. कंपनियों ने दिसंबर 2020 से इंजेक्शन का उत्पादन बंद कर दिया था.
देश में अचानक कोरोनावायरस (Coronavirus) के मामले बढ़ने के साथ ही इंजेक्शन का प्रोडक्शन शुरू हुआ है, पर इसके सप्लाई में 15-20 अप्रैल तक का वक्त लगेगा और तब तक इसके इस्तेमाल को नियंत्रण में रखना होगा. लेटर में लिखा है कि जिलाधिकारियों से चर्चा के बाद पता चला है कि निजी अस्पतालों में इसका गैर-जिम्मेदाराना तरीके से इस्तेमाल हो रहा है.
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सरकारी अस्पतालों में रेमडेसिविर का इस्तेमाल तब ही हो रहा है, जब मरीज मॉडरेट से सिवीयर कंडीशन में जा रहा होता है लेकिन निजी में बड़ी संख्या में मरीजों को रेमडेसिविर दी जा रही है. इसकी वजह से रेमडेसिविर की भारी कमी होगी और कालाबाज़ारी बढ़ेगी.
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उदाहरण के तौर पर, 5 जिलों के आंकड़े दिए गए हैं, जिनमें रेमडेसिविर की खपत, सरकारी और निजी अस्पताल में कितनी है, तुलना करते हुए दर्शाया गया है-
नागपुर-
1,526 सरकारी बेड / मरीज, 490 इंजेक्शन रोजाना इस्तेमाल
2,437 निजी अस्पताल बेड / मरीज, 2,598 रेमडेसिविर रोजाना खपत
अकोला-
239 सरकारी बेड / मरीज,107 रेमडेसिविर रोजाना
311 निजी बेड / मरीज, 268 रेमडेसिविर रोजाना
यवतमाल-
380 सरकारी बेड / मरीज,123 इंजेक्शन रोजाना खपत
331 निजी बेड / मरीज, 350 इंजेक्शन रोजाना इस्तेमाल
अमरावती-
232 सरकारी बेड / मरीज, 80 इंजेक्शन रोजाना खपत
493 निजी बेड / मरीज, 500 इंजेक्शन रोजाना
नंदुरबार-
270 सरकारी बेड / मरीज, 200 इंजेक्शन रोजाना
630 निजी बेड / मरीज, 700 रोजाना रेमडेसिविर खपत
निजी अस्पतालों को इसके इस्तेमाल पर कंट्रोल लाना आवश्यक है. सारे जिलाधिकारियों को आदेश दिया गया है कि निजी अस्पतालों में रेमडेसिविर के इस्तेमाल पर नियंत्रण लाएं और फिर भी ज्यादा इस्तेमाल हो रहा हो तो उन अस्पतालों पर कार्रवाई करें.
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