चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की तारीखों को ऐलान कर दिया है. चुनाव आयोग की इस घोषणा के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) रणनीति पर काम करना शुरू भी कर चुकी है. पार्टी यहां भी हरियाणा जैसी परफॉर्मेंस दोहराने की तैयारी में दिख रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी इसके लिए एक अलग रणनीति पर काम भी कर रही है. इस रणनीति के तहत बीजेपी जातिय समीकरण साधने के साथ-साथ महायुति गठबंधन के काम को भी हाइलाइट करने पर भी फोकस कर रही है.बताया जा रहा है कि बीजेपी यहां फाइव थियोरी पर काम करती दिख रही है. चलिए हम आपको बताते हैं आखिर ये फाइव थियोरी है क्या और इससे बीजेपी को कितना फायदा हो सकता है?
मराठा वोटर्स को रिझाने की होगी पूरी कोशिश
इस चुनाव में मराठा वोटर्स भी एक बड़ी भूमिका निभाने जा रहे हैं. इस बात का अंदाजा तमाम राजनीतिक दलों को भी है. यही वजह है बीजेपी ने अभी से मराठा मतदाताओं को अपने साथ बनाए रखने के लिए विशेष रणनीति पर काम करना शुरू भी कर दिया है. सूत्रों के अनुसार बीजेपी आगामी चुनाव में मराठा वोटर्स को अपने साथ जोड़े रखने के लिए एकनाथ शिंदे को आगे करके चल रही है. बताया जाता है कि हरियाणा में जाट वोटर्स की तरह ही महाराष्ट्र में मराठी वोटर्स भी नाराज माने जा रहे हैं. अब ऐसे में एकनाथ शिंदे ना सिर्फ अपनी पार्टी के लिए बल्कि बीजेपी के लिए भी ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं. इसकी एक बानगी तो उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान भी दिखाई है. लोकसभा चुनाव में मराठी वोटर्स के बल पर ही शिंदे की पार्टी ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया था.कहा जा रहा है कि बीजेपी ने मराठा समाज को ही आकर्षित करने के लिए फडणवीस की जगह शिंदे को सीएम बनाया था. अब इस चुनाव में बीजेपी का यह दाव फायदे का सौदा साबित हो सकता है.
मुस्लिम वोटर्स भी कर सकते हैं बड़ा खेल
महाराष्ट्र के चुनाव में इस बार मुस्लिम वोटर्स का भी एक अलग ही प्रभाव दिख सकता है.बीजेपी भी इस चुनाव में मुस्लिम वोटर्स को लुभाने की कोशिश में जुटी दिखती है. यही वजह है कि पिछले दिनों मदरसा टीचर्स के वेतन में भारी बढ़ोतरी करके यह साबित करने की कोशिश की थी कि मुसलमान भी उनके लिए महत्व रखते हैं. वहीं दूसरी तरफ बाबा सिद्दीकी को भी राजकीय सम्मान देने के साथ सीएम शिंदे मुस्लिम वोटर्स में अपनी पैठ और बढ़ाने की कोशिश की है. उधर, अजित पवार ने भी मुस्लिम वोर्टस को ध्यान में रखते हुए पहले ही ये घोषणा कर चुके हैं कि वो अपने कोटे के टिकटों में से 10 फीसदी सीटों पर मुसलमान को उम्मीदवार बनाएंगे.
5सरकारी योजना भी तय करेगी जीत का रास्ता
महाराष्ट्र की सरकार चुनाव से पहले बीते कुछ सालों में अपने द्वारा किए कामों को अब गिनाती दिख रही है. चाहे बात लड़की बहिन योजना की करें या फिर टोल टैक्स फ्री करने की. सरकार जनता के बीच अपने फैसलों को अब जोर-शोर से उठा रही है. लड़की बहिन योजना के तहत महाराष्ट्र सरकार महिलाओं के खाते में हर महीने 1500 रुपये जमा करती है. राज्य सरकार ने दीवाली को ध्यान में रखते हुए बहनों को 5500 रुपये का बोनस देने का भी फैसला किया है.
दलित वोटरों को भी रिझाने की होगी कोशिश
हरियाणा में हाल ही में हुए चुनाव में दलित वोटरों ने भी एक अहम भूमिका निभाई थी. महाराष्ट्र की कई सीटों पर दलित वोटरों का दबदबा है. ऐसे में बीजेपी की भी नजर इन वोटर्स पर है. उधर, बीएसपी प्रमुख मायावती ने भी इस चुनाव में अकेले ही उतरने का फैसला किया है. मायावती के इस चुनाव में अकेले जाने की वजह से भी अब स्थिति और रोमांचक हो गई है. माना जा रहा है कि जिन सीटों पर दलितों का प्रभाव ज्यादा है वहां अगर किसी एक पार्टी को एकमुश्त वोट पड़ गए तो उसकी नैया पार हो सकती है.
OBC वोटर्स को अपने पक्ष में करना चाहेगा महायुति
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ओबीसी वोटर्स सबसे बड़े गेम चेंजर साबित हो सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार महाराष्ट्र में ओबीसी वोटर्स की कुल आबादी 52 फीसदी है. जबकि राज्य में कुल पिछड़ी जातियां 351, जिनमें से 291 जातियां केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल हैं. आपको बता दें कि 1996 से राज्य में सात नई जातियों और उनकी उप-जातियों को शामिल करने की मांग हो रही है. अगर सरकार इन जातियों को भी केंद्रीय सूची में शामिल कर लिया जाता है तो ये महायुति के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं