महाराष्ट्र में 4500 डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर हैं. वे हमले की घटनाओं के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं.
मुंबई:
महाराष्ट्र में लगभग 4500 रेजीडेंट डॉक्टर रविवार रात आठ बजे से सामूहिक अवकाश पर हैं. मुंबई में महापौर विश्वनाथ महाडेश्वर ने रेजीडेंट डॉक्टरों के दल से मुलाकात कर उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश की लेकिन वे कामयाब नहीं हुए. अवकाश पर गए डॉक्टरों ने उनसे मुलाकात के बाद भी अवकाश से नहीं लौटने का फैसला किया.
पूरे प्रदेश में रेजीडेंट डॉक्टर अपने साथियों पर हुए हमले की वजह से नाराज हैं. हफ्ते भर में राज्य में डॉक्टरों पर चार दफे हमले की शिकायत दर्ज कराई गई है. पहला मामला 12 मार्च को धुले में हुआ, फिर गुरुवार को नासिक में डॉक्टर की पिटाई हुई. शनिवार की शाम को मुंबई के सायन अस्पताल में तो सोमवार की सुबह मुंबई के वाडिया अस्पताल में तीमारदारों ने एक डॉक्टर की धुनाई कर दी.
सामूहिक अवकाश पर गए डॉक्टर हर्षद ने कहा कि वे ऐसे माहौल में काम नहीं कर सकते हैं जहां पर उनकी अपनी ही जान खतरे में पड़ जाए. वहीं डॉक्टर लोकेश का कहना था कि सरकार ने उनकी सुरक्षा के वायदे तो किए लेकिन अमल नहीं.
इस फैसले के बाद मुंबई के बड़े अस्पतालों के 75 फीसदी से ज्यादा रेजीडेंट डॉक्टर काम पर नहीं हैं. इसका सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है. अस्पताल वैकल्पिक इंतजाम का दावा कर रहे हैं लेकिन कई मरीजों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश के मुताबिक महाराष्ट्र के रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर नहीं जा सकते, इसलिए डॉक्टरों ने सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है. मेडिकल शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन ने डॉक्टरों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि बगैर किसी ठोस फैसले के वे वापस नहीं लौटेंगे.
पूरे प्रदेश में रेजीडेंट डॉक्टर अपने साथियों पर हुए हमले की वजह से नाराज हैं. हफ्ते भर में राज्य में डॉक्टरों पर चार दफे हमले की शिकायत दर्ज कराई गई है. पहला मामला 12 मार्च को धुले में हुआ, फिर गुरुवार को नासिक में डॉक्टर की पिटाई हुई. शनिवार की शाम को मुंबई के सायन अस्पताल में तो सोमवार की सुबह मुंबई के वाडिया अस्पताल में तीमारदारों ने एक डॉक्टर की धुनाई कर दी.
सामूहिक अवकाश पर गए डॉक्टर हर्षद ने कहा कि वे ऐसे माहौल में काम नहीं कर सकते हैं जहां पर उनकी अपनी ही जान खतरे में पड़ जाए. वहीं डॉक्टर लोकेश का कहना था कि सरकार ने उनकी सुरक्षा के वायदे तो किए लेकिन अमल नहीं.
इस फैसले के बाद मुंबई के बड़े अस्पतालों के 75 फीसदी से ज्यादा रेजीडेंट डॉक्टर काम पर नहीं हैं. इसका सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है. अस्पताल वैकल्पिक इंतजाम का दावा कर रहे हैं लेकिन कई मरीजों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश के मुताबिक महाराष्ट्र के रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर नहीं जा सकते, इसलिए डॉक्टरों ने सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है. मेडिकल शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन ने डॉक्टरों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि बगैर किसी ठोस फैसले के वे वापस नहीं लौटेंगे.
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