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भारतीय राजनीति में AI की दस्तक: जब मृत नेता बोल उठे

नासिक में बुधवार को उद्धव ठाकरे द्वारा बुलाई गई शिवसेना (यूबीटी) की एक बैठक में शामिल पार्टी कार्यकर्ता उस वक्त हैरान रह गए, जब मंच से दिवंगत पार्टी प्रमुख बाल साहेब ठाकरे की आवाज सुनाई दी, जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी और एकनाथ शिंदे पर तीखा हमला बोला.

भारतीय राजनीति में AI की दस्तक: जब मृत नेता बोल उठे
बाल ठाकरे और एकनाथ शिंदे (फाइल फोटो)

अगर आप आने वाले समय में किसी दिवंगत नेता के भाषण सुनें, जिसमें वे मौजूदा सियासी हालात पर टिप्पणी कर रहे हों या अपनी पार्टी के विरोधियों पर तंज कस रहे हों- तो चौंकिए मत. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब भारतीय राजनीति में कदम रख चुका है और उद्धव ठाकरे की शिवसेना शायद पहली पार्टी है जिसने इसे सार्वजनिक मंच पर इस्तेमाल किया है.

नासिक में बुधवार को उद्धव ठाकरे द्वारा बुलाई गई शिवसेना (यूबीटी) की एक बैठक में शामिल पार्टी कार्यकर्ता उस वक्त हैरान रह गए, जब मंच से दिवंगत पार्टी प्रमुख बाल साहेब ठाकरे की आवाज सुनाई दी, जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी और एकनाथ शिंदे पर तीखा हमला बोला. ठाकरे का 2012 में निधन हुआ था, जब शिवसेना एकजुट थी और शिंदे पार्टी के सबसे वफादार नेताओं में से एक माने जाते थे. ऐसे में अगर वह भाषण कोई पुराना रिकॉर्डेड भाषण होता तो वे किसी ऐसे नेता की आलोचना क्यों करते जो उस समय उनका सबसे नजदीकी था? जवाब है-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस.

मंच से सुनाया गया 13 मिनट का ठाकरे की शैली और भाषण देने के अंदाज़ की हूबहू नकल करता था. राजनीतिक विश्लेषकों ने पाया कि उस भाषण की सामग्री उद्धव ठाकरे द्वारा अब तक भाजपा और शिंदे के खिलाफ की गई सार्वजनिक टिप्पणियों से काफी मेल खा रही थी हालांकि यह पहचानना मुश्किल था कि यह भाषण AI द्वारा तैयार किया गया है.
AI के ज़रिए ठाकरे की आवाज़ के इस्तेमाल को भाजपा ने पसंद नहीं किया. भाजपा विधायक राम कदम ने तीखा तंज कसते हुए कहा कि अब चूंकि कोई उद्धव की नहीं सुनता, इसलिए वे बाला साहेब की आवाज का सहारा ले रहे हैं. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने भी उद्धव की आलोचना की और कहा कि वे अपने पिता की विचारधारा से भटक गए हैं, और बाला साहेब कभी कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने की इजाज़त नहीं देते.

जहां एक ओर बाला साहेब की आवाज़ के AI से इस्तेमाल पर शिवसेना (यूबीटी) के विरोधियों ने सवाल उठाए हैं, वहीं यह भारतीय राजनीति में एक नए चलन की शुरुआत भी है. आने वाले महानगरपालिका चुनावों के प्रचार के दौरान, अन्य राजनीतिक दल भी अपने दिवंगत नेताओं की आवाज़ों को फिर से गढ़ने समेत, AI के कई अन्य तरीकों से उपयोग पर विचार कर सकते हैं. राजनीतिक दलों के अलावा चुनाव का अध्ययन करने वाली एजेंसियां भी AI को अपनाने के लिए तैयार हो रही हैं.
 

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