बसपा प्रमुख मायावती (फाइल फोटो)
- मायावती का आरोप, 'BJP ने साजिश के तहत दयाशंकर से उन्हें अपशब्द कहलवाए'
- दयाशंकर की गाली को दलित स्वाभिमान का मुद्दा बनाना चाहती हैं मायावती
- बीजेपी अब दयाशंकर सिंह की बीवी और मां से राजनीति करा रही है
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लखनऊ:
मायावती अब दयाशंकर से मिली गालियों को चुनावी मुद्दा बनाएंगी। वो इस मुद्दे पर पूरे यूपी में रैलियां करेंगी। इस कड़ी की पहली रैली 21 अगस्त को आगरा में और दूसरी 28 अगस्त को आजमगढ़ में होगी। लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती ने कहा कि बीजेपी ने एक साजिश के तहत दयाशंकर से उन्हें अपशब्द कहलवाए। लेकिन इससे दलित नाराज है जो अब बीजेपी को वोट नहीं देगा।
चूंकि अखिलेश यादव अक्सर मायावती को बुआजी कह कर संबोधित करते हैं, इसलिए आज उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ये मौका है कि वह दयाशंकर को गिरफ्तार कर बुआ के सम्मान की रक्षा करें। और अगर नहीं करेंगे तो दयाशंकर को इसका जवाब उनकी सरकार बनने पर मिलेगा।
मायावती ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपनी बुआ के मान सम्मान में दोषी दयाशंकर सिंह को गिरफ्तार कर उसके किए की उसको सजा नहीं दिलवाई तो ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश में बीएसपी की सरकार बनते ही इनके विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई भी जरूर की जाएगी।
मायावती दयाशंकर की गाली को दलित स्वाभिमान का मुद्दा बनाना चाहती हैं। वो कहती हैं कि एक साल से मोदी और अमित शाह दलित वोट में सेंध लगाने के लिए कभी अंबेडकर स्मारक बनाने का ऐलान करते हैं तो कभी दलितों के साथ जमीन में बैठकर खाना खाते हैं। लेकिन पहले रोहित वेमुला की खुदकुशी फिर उना में दलितों की कोड़ों से पिटाई और फिर उन्हें गाली दिए जाने से पासा पलट गया है।
मायावती कहती हैं कि पूरे देश में दलितों को भी अपने खिलाफ करने के साथ-साथ उन्हें काफी हद तक बीएसपी के साथ ला कर खड़ा कर दिया है।
इधर मायावती की प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म हुई कि उधर दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह राज्यपाल से मिलने पहुंच गईं। राज्यपाल से उन्होंने वही सब बातें बताईं जो वह इसके पहले मीडिया से कह चुकी हैं। उन्होंने बताया कि उनके और उनकी बेटी के लिए बीएसपी के लोगों ने बेहूदा नारे लगाए। स्वाति सिंह कहती हैं, 'शिकायत लेकर मैं उनके पास गई थी और उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि वो उसपर बात करेंगे।'
मायावती दयाशंकर की मां और पत्नी से खफा हैं। मायावती ने इल्जाम लगाया कि उन्होंने दयाशंकर के अपशब्द कहने के बाद बैकफुट पर आई बीजेपी अब दयाशंकर की बीवी और मां से राजनीति करा रही है।
इस देश में धर्म पर राजनीति होती है, जाति पर होती है, क्षेत्र पर होती है, भाषा पर होती है। लेकिन पहली बार गाली पर राजनीति हो रही है। ये नेताओं का सियासी हुनर है कि गाली का भी राजनीतिकरण कर दिया गया है और इसमें फौरी तौर पर मायावती को सवर्ण वोट का और बीजेपी को दलित वोट का नुकसान दिखता है।
चूंकि अखिलेश यादव अक्सर मायावती को बुआजी कह कर संबोधित करते हैं, इसलिए आज उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ये मौका है कि वह दयाशंकर को गिरफ्तार कर बुआ के सम्मान की रक्षा करें। और अगर नहीं करेंगे तो दयाशंकर को इसका जवाब उनकी सरकार बनने पर मिलेगा।
मायावती ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपनी बुआ के मान सम्मान में दोषी दयाशंकर सिंह को गिरफ्तार कर उसके किए की उसको सजा नहीं दिलवाई तो ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश में बीएसपी की सरकार बनते ही इनके विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई भी जरूर की जाएगी।
मायावती दयाशंकर की गाली को दलित स्वाभिमान का मुद्दा बनाना चाहती हैं। वो कहती हैं कि एक साल से मोदी और अमित शाह दलित वोट में सेंध लगाने के लिए कभी अंबेडकर स्मारक बनाने का ऐलान करते हैं तो कभी दलितों के साथ जमीन में बैठकर खाना खाते हैं। लेकिन पहले रोहित वेमुला की खुदकुशी फिर उना में दलितों की कोड़ों से पिटाई और फिर उन्हें गाली दिए जाने से पासा पलट गया है।
मायावती कहती हैं कि पूरे देश में दलितों को भी अपने खिलाफ करने के साथ-साथ उन्हें काफी हद तक बीएसपी के साथ ला कर खड़ा कर दिया है।
इधर मायावती की प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म हुई कि उधर दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह राज्यपाल से मिलने पहुंच गईं। राज्यपाल से उन्होंने वही सब बातें बताईं जो वह इसके पहले मीडिया से कह चुकी हैं। उन्होंने बताया कि उनके और उनकी बेटी के लिए बीएसपी के लोगों ने बेहूदा नारे लगाए। स्वाति सिंह कहती हैं, 'शिकायत लेकर मैं उनके पास गई थी और उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि वो उसपर बात करेंगे।'
मायावती दयाशंकर की मां और पत्नी से खफा हैं। मायावती ने इल्जाम लगाया कि उन्होंने दयाशंकर के अपशब्द कहने के बाद बैकफुट पर आई बीजेपी अब दयाशंकर की बीवी और मां से राजनीति करा रही है।
इस देश में धर्म पर राजनीति होती है, जाति पर होती है, क्षेत्र पर होती है, भाषा पर होती है। लेकिन पहली बार गाली पर राजनीति हो रही है। ये नेताओं का सियासी हुनर है कि गाली का भी राजनीतिकरण कर दिया गया है और इसमें फौरी तौर पर मायावती को सवर्ण वोट का और बीजेपी को दलित वोट का नुकसान दिखता है।
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