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This Article is From Apr 14, 2019

Lok Sabha Election 2019: अगर किसी पार्टी को नहीं मिला बहुमत, तो ये होंगे किंगमेकर...

Lok Sabha Election 2019: कई सर्वे में यह भविष्यवाणी की गई है कि बीजेपी (BJP) नेतृत्व वाला राजग (NDA) बहुमत से कुछ सीटें पीछे रह सकता है. ऐसे में क्षेत्रीय पार्टियों (Regional Parties) की बड़ी भूमिका हो सकती है.

Lok Sabha Election 2019: अगर किसी पार्टी को नहीं मिला बहुमत, तो ये होंगे किंगमेकर...
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) को लेकर सभी पार्टियों का चुनाव-प्रचार जोरों पर है. 11 अप्रैल को पहले दौर का मतदान भी संपन्न हो चुका है. इस बार कुल सात चरणों में मतदान होने हैं. सातवां और अंतिम चरण का मतदान 19 मई को होगा और नतीजे 23 मई को घोषित किए जाएंगे. इन सबके बीच कई सर्वे में यह भविष्यवाणी की गई है कि बीजेपी नेतृत्व वाला राजग (NDA) बहुमत से कुछ सीटें पीछे रह सकता है. ऐसे में केंद्र में किसकी सरकार बनेगी यह तय करने में क्षेत्रीय पार्टियों की बड़ी भूमिका हो सकती है. वाईएस जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस, के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली TRS, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुवाई वाला बीजद और बसपा-सपा गठबंधन, जिन्होंने भाजपा नेतृत्व वाले राजग और कांग्रेस की अगुवाई वाले संप्रग दोनों से बराबर की दूरी बना रखी है, इन सभी पर खास नजरें रहेंगी. 

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस और चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा भी केंद्र में सरकार गठन में भूमिका निभा सकते हैं. ममता बनर्जी और चंद्रबाबू नायडू भाजपा-विरोधी गठबंधन बनाने की कोशिश करते रहे हैं और यहां तक कि इस कोशिश में उन्होंने कांग्रेस से भी मेलजोल रखा. हालांकि, ममता बनर्जी भाजपा पर कड़े तौर पर हमलावर होने के साथ ही कांग्रेस को भी निशाना बनाती रही हैं, जिसने भी बराबरी से जवाब दिया है.

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बसपा और सपा जहां भाजपा की कड़ी निंदा करते रहे हैं, वहीं वे कांग्रेस को अपने चुनाव पूर्व गठबंधन से बाहर रखकर उसे महत्वहीन दर्शाते रहे हैं. ये क्षेत्रीय पार्टियां 543 लोकसभा सीटों में से 180 के करीब जीत सकती हैं और वे इस चुनाव में कितनी सीटें जीतेंगी, इससे ही उनकी भूमिका तय होगी. त्रिशंकु संसद कई संभावनाएं पैदा करेगी और गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपा खेमे ऐसी ही स्थिति चाहेंगे.

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जगनमोहन रेड्डी ने इस महीने पहले कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि त्रिशंकु संसद की स्थिति हो, ताकि वे राज्य के लिए बेहतर समझौता कर पाएं. मक्कल नीधि मैयम (एमएनएम) के नेता कमल हासन ने भी कहा है कि लोकसभा चुनाव त्रिशंकु संसद की स्थिति पैदा करेंगे और तीसरे मोर्चे की सरकार बने इसकी संभावना है. सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज (CSDS) द्वारा किए गए एक चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के अनुसार, वोट शेयर में वृद्धि के बावजूद प्रमुख राज्यों में 'अधिक एकजुट विपक्ष' के कारण भाजपा सीटें हार सकती है. सर्वेक्षण में भाजपा को 222 से 232 के बीच सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है, जो कि 2014 में उसके द्वारा जीती गई 283 सीटों से काफी कम है.

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चुनाव पूर्व सर्वेक्षण दर्शाता है कि कांग्रेस पार्टी 74-84 सीटें जीत सकती है, जिसने 2014 में केवल 44 सीटें जीती थीं. सर्वेक्षण के अनुसार, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बहुमत के आंकड़े तक पहुंच भी सकती है और नहीं भी और उसे 263 से 283 के बीच सीटें मिलने की संभावना है. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) को 115 से 135 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है. मध्य मार्च में जारी किए गए सर्वेक्षण में कहा गया था कि राजग को 264 सीटें मिलने की संभावना है, जो कि सरकार बनाने के लिए जरूरी 272 के आंकड़े से आठ सीटें कम है. इस सर्वेक्षण में कांग्रेस नेतृत्व वाले संप्रग को केवल 141 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था. कुछ सर्वेक्षणों में राजग को बहुमत मिलने की भविष्यवाणी भी की गई है.

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चुनाव से पहले एक संघीय मोर्चे के गठन की भी चर्चा है और राव ने चुनाव से पहले गैर-भाजपा और गैर-राजग दलों के साथ बैठकें भी कीं. ऐसे प्रयास चुनाव के बाद और तेज हो सकते हैं. अगर तीसरे मोर्चे के गठन की संभावना बनती है तो भाजपा और कांग्रेस के कुछ साझेदार भी उसमें शामिल हो सकते हैं.

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(इनपुट: IANS)
 

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