सुप्रीम कोर्ट ने तेज बहादुर यादव की याचिका खारिज कर दी है. दरअसल, वाराणसी से महागठबंधन के उम्मीदवार तेज बहादुर यादव का नामांकन रद्द हो गया था. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें दखल देने का कोई आधार नहीं मिला. जनहित याचिका के तौर पर इसमें दखल देने का कोई आधार नहीं है. तेज बहादुर की ओर से प्रशान्त भूषण ने कहा कि वो चुनाव को चुनौती नही दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारा बस ये कहना है कि तेज बहादुर का नामांकन गलत तरीके से और गैरकानूनी तरीके से खारिज हुआ है और उन्हें 19 मई को चुनाव लडने की इजाजत दी जाए. प्रशांत भूषण ने कहा कि मैंने अपनी बर्खास्तगी का आदेश नामांकन के साथ संलग्न किया था. हमें जवाब रखने का पूरा मौका नही दिया गया. मैं चुनाव को नही रोक रहा हूं बस मैं चाहता हूं कि मेरा नाम जोड़ा जाए.
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आपको बता दें कि वाराणसी में 19 मई को चुनाव होना है. तेज बहादुर यादव ने 29 अप्रैल को समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया था. इसे 1 मई को रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि उसे 19 अप्रैल, 2017 को सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था, लेकिन नामांकन पत्र में निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किया गया प्रमाण पत्र नहीं है कि उसे भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त नहीं किया गया. तेज बहादुर यादव ने कहा है कि उन्होंने नामांकन पत्र के साथ अपने बर्खास्तगी का आदेश दिया था जिसमें साफ था कि उसे अनुशासनहीनता के लिए बर्खास्त किया गया था. याचिका में ये भी कहा गया है कि रिटर्निंग अफसर ने उसे चुनाव आयोग से प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए वाजिब समय भी नहीं दिया.
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रिटर्निंग अफसर ने 30 अप्रैल की शाम 6 बजे उसे नोटिस जारी कर एक मई की सुबह 11 बजे तक ये प्रमाण पत्र लाने को कहा. याचिका में इस फैसले को मनमाना और दुर्भावनापूर्ण बताया गया है और कहा गया है कि ये कदम सत्ता पक्ष के दल को वॉकओवर दिलाने के लिए उठाया गया. निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि यादव प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने में विफल रहे, क्योंकि जनप्रतिनिधि (आरपी) अधिनियम के तहत उन्हें इस आशय का प्रमाण पत्र देना आवश्यक था कि उन्हें 'भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त' नहीं किया गया है.' तेज बहादुर यादव ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में कहा था कि निर्वाचन अधिकारी के निर्णय को खारिज किया जाए तथा शीर्ष अदालत याचिकाकर्ता को हाई प्रोफाइल वाराणसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की अनुमति दे, जहां 19 मई को मतदान होना है.
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