महीनों तक जारी अटकलबाजी कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी के चुनावी मैदान में उतर सकती हैं, पर गुरुवार को विराम लग गया. प्रियंका गांधी के नाम पर ऊहापोह की स्थिति को खत्म करते हुए कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को अजय राय को पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव मैदान में उतारा. प्रियंका गांधी के वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव न लड़ने के अंतिम फैसले के कारणों का कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा ने खुलासा किया है. सैम पित्रोदा की मानें तो वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला प्रियंका गांधी का ही था.
आखिर नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी की जंग से पीछे क्यों हटीं प्रियंका गांधी वाड्रा...
सैम पित्रोदा ने कहा कि वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव न लड़ने का फैसला खुद प्रियंका गांधी वाड्रा का था. पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने वाराणसी से चुनाव लड़ने का फैसला प्रियंका गांधी पर ही छोड़ रखा था. बता दें कि 2014 में पीएम मोदी वाराणसी से बड़े वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे.
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प्रियंका गांधी वाड्रा ने फरवरी में सक्रिय राजनीति में तब कदम रखा, जब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश के गठबंधन से कांग्रेस को अलग कर दिया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बना दिया, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी.
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प्रियंका और राहुल गांधी के कई बयानों से ऐसी संभावना जताई जा रही थी की वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस प्रियंका गांधी को मैदान में उतार सकती है, मगर ऐसा नहीं हो सका. प्रियंका गांधी से जब भी वाराणसी से उनकी उम्मीदवारी को लेकर सवाल पूछा जाता, तो वह हमेशा कहती थीं कि अगर पार्टी उन्हें कहेगी तो वह चुाव लड़ेंगी. मगर गुरुवार को कांग्रेस पार्टी ने सस्पेंस खत्म कर दिया और अजय राय को अपना उम्मीदवार बनाया.
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इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने कहा कि वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला प्रियंका जी का ही था क्योंकि उनके पास अन्य जिम्मेदारिया थीं. उन्होंने सोचा कि किसी एक सीट पर अपना ध्यान केंद्रित करने से अच्छा है उन्हें जो काम मिला है उस पर ध्यान दिया जाए, तो यह फैसला उन्हीं का था और उन्होंने ही यह तय किया.' बता दें कि वाराणसी में 19 मई को चुनाव है.
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