विधानसभा चुनावों में जीत के बावजूद, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस (Congress) को मध्य प्रदेश में बड़ा झटका लगा. लगभग सारे आला नेता चुनाव हार गए. अब बीजेपी कह रही है कि राज्य सरकार का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है. मध्यप्रदेश में गुरुवार को बीजेपी दफ्तर में 2014 की तस्वीरों का रीप्ले दिखा, हर तरफ भगवा लहर. इस लहर में राजधानी भोपाल से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) को प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने हरा दिया. ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके पूर्व सांसद प्रतिनिधि डॉ केपी यादव ने हराया. वहीं पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को जीएस डामोर ने रतलाम झाबुआ से हरा दिया. डामोर इससे पहले विधानसभा चुनावों में भूरिया के बेटे विक्रांत को भी हरा चुके हैं. वहीं पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव को नंदकुमार सिंह चौहान ने खंडवा में हरा दिया.
मध्य प्रदेश की 29 संसदीय सीटों में से, बीजेपी ने 28 सीटें जीतीं, जिसमें कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ एकमात्र कांग्रेसी उम्मीदवार थे जिन्होंने जीत दर्ज की. जिसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा ये सच है कि नतीजे हमारे पक्ष में नहीं आए, ये लोकतंत्र में होता है. मैं मोदीजी को बधाई देता हूं, हम देखेंगे कि क्या गलत हुआ. कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी ने हार को स्वीकारा लेकिन राज्य सरकार पर खतरे से इंकार कर दिया. कांग्रेस पार्टी, विधानसभा चुनाव में 15 साल की हार का बदला लेने के बावजूद लोकसभा में बुरी तरह हारी, बीजेपी कह रही है कि उन्होंने सूद समेत बदला ले लिया है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा लोग मुझे कहते थे मामा वापस आ जाओ, हमने सूद समेत बदला ले लिया.
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अब बीजेपी कह रही है कि कमलनाथ को इस्तीफा दे देना चाहिए. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा, 'कहने को राज्य में एक सीएम था, लेकिन 3-3 सीएम थे जिसमें 2 चुनाव हार गए, राजधानी भोपाल की सीट भी है, इसलिए अब हमारा कहना है की जनता के मत का समर्थन करते हुए राज्य सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए.'
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