भारतीय जनता पार्टी (BJP) से नाता तोड़कर कांग्रेस में जाने की तैयारी कर चुके मशहूर अभिनेता और दिग्गज नेता शत्रुघ्न सिन्हा (Shatughan Sinha) का कहना हैं कि उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी, पार्टी ने उन्हें छोड़ा है.पार्टी (बीजेपी) ने उनके कहे को हमेशा गलत समझा. NDTV से खास बातचीत में शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि 'मैं तो बस आईना दिखा रहा था. वन मैन शो एंड टू मैन आर्मी ने सब खराब किया.'
शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि आडवाणी-जोशी सबको जिल्लत झेलनी पड़ी. उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में वे मोदी लहर की वजह से नहीं जीते थे. इस बार तो मोदी कहर का माहौल है. उनका कहना है कि आरजेडी-कांग्रेस में गड़बड़ी हुई तो वे ब्रिज का काम करेंगे.
शत्रुघ्न सिन्हा ने आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद शत्रुघ्न सिन्हा की NDTV से हुई Exclusive बातचीत के प्रमुख अंश-
NDTV : कैसी रही राहुल गांधी से मुलाकात कब होगी ज्वाइनिंग?
बहुत अच्छी रही, बहुत पॉजिटिव, बहुत सार्थक, बहुत ही हौसला अफजाई की. उनका मानना है कि जिस तरह इतने सालों मुझको प्रताड़ित किया हमारी पार्टी ने, जिस तरह संवाद कहीं नहीं रखा, जिस तरह से मैं जुल्मो-सितम
और अन्याय का शिकार हुआ, और जिस तरह से मैंने उसको डिग्निटी के साथ झेला, वो बहुत सराहनीय और प्रशंसनीय लगा उनको (राहुल). मैं इसके लिए उनका आभार प्रकट करता हूं. और इसलिए भी आभार प्रकट करता हूं, कि मुझसे उम्र में छोटे, लेकिन देश के बहुत चहेते, युवा और लाड़ले नेता हैं. आज देश की निगाहें राहुल गांधी पर टिकी हुई हैं. राहुल गांधी, उनके परिवार गांधी-नेहरू परिवार का मैं बहुत बड़ा समर्थक और प्रशंसक हूं, हमेशा से. आपने देखा होगा मैंने उनके बारे में कभी भी कोई गलत बात नहीं की है, क्योंकि मैं कद्रदान हूं, और मैं उन लोगों को नेशन बिल्डर मानता हूं.
NDTV : बीजेपी आरोप लगाती रही है कि आप बीजेपी में रहते हुए उस पर और पार्टी के नेतृत्व पर गलत आरोप लगाते रहे हैं?
देखिए हमारे बीजेपी फैमिली के लोग सलेक्टिव बात करते रहे हैं और बातों को आधा-अधूरा पेश करते हैं. मैंने कभी भी पार्टी के खिलाफ बात नहीं की है. हां, पार्टी में कुछ लोग 'वन मैन शो' और 'टू मैन आर्मी', उन्होंने लोकशाही को बदलकर तानाशाही में परिवर्तित कर दिया. वे तानाशाही की बातें करते रहे, और साथ-साथ पोस्टर और बैनर लगाते रहे कि व्यक्ति से बड़ी पार्टी होती है और पार्टी से बड़ा देश होता है. मैंने देशहित में बातें कीं, बातें पार्टी हित में भी होनी चाहिए थीं. मैंने आईना दिखाने की कोशिश की. उसका अर्थ गलत निकाला और हमें बदनाम करने की कोशिश की. वे डिमोनेटाइजेशन, नोटबंदी करते हैं. इतना बड़ा जुल्म रातोंरात, हमारे घर की महिलाओं के साथ, हमारे ढेले वालों के साथ, हमारे रेहड़ी-पटरी वालों के साथ, छोटे दुकानदारों के साथ किया. तो मैं अगर उस पर आवाज उठा रहा था, तो मैं कोई अपने हित में तो आवाज नहीं उठा रहा था.
NDTV : आपने ढेर सारे ट्वीट किए कि बीजेपी ने लालकृष्ण आडवाणी का टिकट काट दिया, मुरली मनोहर जोशी का टिकट काट दिया. आज जब आप राहुल गांधी से मिलने पहुंचे तो उससे पहले क्या आपने आडवाणी जी का आशीर्वाद लिया?
आडवाणी जी का आशीर्वाद मैं पहले ले चुका हूं. उनके घर पर हफ्ता-दस दिन पहले गया था. मैं आज भी जाने वाला था. अपने बड़े भाई यशवंत सिन्हा के साथ जाने वाला था, जिनके साथ भी बहुत जुल्म और ज्यादती की इन्होंने. लेकिन आज चूंकि उनके पैर में मोच आ गई है, इसलिए वे नहीं आ सके, वरना आज जाकर उनका आशीर्वाद ही लेने वाला था. लेकिन अभी तो वक्त है.
NDTV : आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के साथ जैसा बर्ताव हुआ, ऐसे में वे आपकी तरह कदम उठाने का तो शायद नहीं सोच सकते, लेकिन क्या वे निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं?
लालकृष्ण आडवाणी और जोशी जी को करना तो चाहिए, यही घड़ी है. टिकट की जहां तक बात है, मुझे फिक्र नहीं थी कि काट दिया जाएगा. वह तो बहुत दिनों से एक्सपेक्टेड था ही कि वे ऐसा करेंगे, क्योंकि मैंने कहा था कि मैं पार्टी नहीं छोड़ूंगा, पार्टी चाहे तो मुझे छोड़ सकती है.
NDTV : टेक्निकली पार्टी ने अभी भी आपको छोड़ा नहीं है, टिकट नहीं दिया है. टिकट तो बहुतों को नहीं दिया है.
हां, लेकिन मुझे टिकट की चिंता भी नहीं है. मैंने कहा था कि मैं एबिल और कैपेबिल हूं, मैं उनसे निबट सकता हूं. लेकिन उन्होंने आडवाणी जी को, जोशी जी को, अरुण शौरी को और यशवंत सिन्हा को जिस तरह से निकाला और जिस तरह से दरकिनार किया, वाकई बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. आपको बताऊं आज देश बहुत दुखी है. जो हमारे स्टारवर्ड हैं आडवाणी जी, जोशी जी, यशवंत सिन्हा जी और अरुण शौरी जी, कम से कम इनसे पूछ ही लेते. आपने (बीजेपी) कहा कि ये जो चाहें अपनी सीटों का फैसला करें, लेकिन आपने उसके पहले ही खुद फैसला कर दिया. मेरे टिकट का जहां तक सवाल है तो मेरा तो सौभाग्य है कि हर पार्टी मुझको ऑफर कर रही थी, ममता जी, केजरीवाल जी हमारे, अखिलेश, मायावती जी, लालू जी.
NDTV : अब क्या फर्क आएगा शत्रुघ्न सिन्हा में, क्योंकि बीजेपी में रहते हुए जिस तरह हमले उन्होंने बीजेपी लीडरशिप पर किए अब कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद क्या उसमें इजाफा होगा, टोन वही रहेगा या कुछ बदलेगा?
अब थोड़ा सा जरूर बैरियर हटेगा. अटेंशन डायवर्ट करने के लिए आप नई-नई चीजों की घोषणा कर रहे हो. जब चुनाव की घड़ी आई तो राम मंदिर का मुद्दा उठाकर आपने अटेंशन डायवर्ट करने की कोशिश की. यह सही नहीं है. सभी राम मंदिर चाहते हैं, लेकिन ऐसा कोई नहीं चाहता कि खूनखराबा हो, दंगा-फसाद हो. चाहते हैं कि कोर्ट की सहमति से हो या लोगों की सहमति से हो. अभी जैसे अंतरिक्ष वाली बात, बड़ी अच्छी हुई. मैं साइंटिस्टों को बधाई देता हूं. उस पर राहुल गांधी ने बड़ा अच्छा ट्वीट किया कि 'वर्ल्ड थिएटर डे...' अरे भाई लोग घबरा गए कि यह पौने बारह से बारह के बीच बोलेंगे और क्या बोल रहे हैं. इन बातों से हमारी डे-टू-डे लाइफ में क्या फर्क पड़ रहा है. अच्छी बात है, देश के लिए अच्छी बात है.
NDTV : यानी अब आप ज्यादा मुखर होंगे, अटैक करेंगे. एक बात आपने कही है कि चाहे सिचुएशन कोई भी हो, लोकेशन वही रहेगी. पटना साहिब से चुनाव लड़ेंगे. पिछली बार 2014 में कहा जा रहा था कि जितने सांसद हैं, मोदी लहर में जीतकर आए हैं और आप भी जीतकर आए. इस बार यदि मोदी लहर है भी तो वह आपके साथ तो नहीं होगी.
पिछली बार की तथाकथित मोदी लहर के दो एक्जाम्पिल दे दूं, हमारे मित्र अरुण जेटली मोदी लहर में तमाम चाहने और कोशिश करने के बावजूद कितनी बुरी तरह हारे थे. इसी तरह मेरा दोस्त और छोटा भाई शहनवाज हुसैन भागलपुर से हारा था. और वे देखते रहे मोदी लहर. उसे मोदी लहर कहें या उस वक्त को मोदी कहर कहें, उन्हें (जेटली और शहनवाज) तो कहर का शिकार होना पड़ा. मैं पटना से था, तब मोदी लहर और मोदी कहर से दूर मैंने न तो आडवाणी जी को, न राजनाथ जी को न सुषमा स्वराज, किसी नेता को अपने यहां नहीं बुलाया. और तो और अपनी बेटी सोनाक्षी सिन्हा को भी नहीं बुलाया, क्योंकि हमारे लिए सबसे बड़ा स्टार रही पटना की जनता, जो मुझे बहुत प्यार करती है, मुझ पर नाज करती है. और मैं उन पर नाज करता हूं.
NDTV : आपने एक शब्द इस्तेमाल किया 'मोदी लहर' के बजाय 'मोदी कहर', अबकी बार बेरोजगारी, किसानों के मुद्दे हैं. तो क्या आपको लगता है कि इस बार मोदी कहर आपको ज्यादा वोट दिलाएगा. आपके सामने रविशंकर प्रसाद होंगे, एक बड़ी चुनौती आपके सामने है. आप किस तरह अपनी जीत का आकलन करते हैं?
आप ठीक कहते हैं, उसको निगेटिव वोटिंग कहते हैं. जाहिर है निगेटिव वोटिंग जबर्दस्त होगी इस बार. इतनी सारी वादाखिलाफी हुई है. लोगों के तमाम कहने और चाहने के बावजूद राफेल में जिस तरह से खुलासा नहीं किया, जिस तरह आपने युवा पीढ़ी को धोखा दिया, रोजगार की बातें करके उसे दबाते-छुपाते रहे...
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