
26 फरवरी को वायुसेना की ओर से जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर की गई एयर स्ट्राइक की तस्वीरें जारी करने की मांग तेज पकड़ रही है. विपक्ष के कई खासकर कांग्रेस के कई नेता इसको लेकर सबूत मांग रहे हैं. सवाल इस बात का है कि अगर सरकार के पास ऐसे किसी तरह के सबूत हैं तो उनको जारी क्यों नहीं कर रही है. NDTV को पता चला है कि दो अलग-अलग स्रोतों से सरकार द्वारा ली गईं तस्वीरें इस बात को साबित कर सकती हैं कि स्पाइस 2000 ग्लाइड बमों ने 5 अलग अलग ढांचों को निशाना बनाया जो पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा के बालाकोट के पास स्थित बिसियां टाउन के पश्चिम में स्थित थे. इन संरचनाओं की छतों पर छोटे छेद इजरायल में बने इन बमों के एंट्री प्वाइंट को दर्शाते हैं. हालांकि यह बम विस्फोट होने से पहले इमारतों, बंकरों और शेल्टरों को भेद कर अंदर घुसने के लिए डिजाइन नहीं किए गए हैं. स्पाइस 2000 को 'डीकैपिटेटिंग वेपन' कहा जाता है जो सटीक हमले के जरिए दुश्मन के नेतृत्व को खत्म करने के लिए डिजाइन किया गया है. इस्तेमाल किए गए कुछ स्पाइस 2000 संभवत: उस ढांचे को पूरी तरह नहीं गिरा पाए जिसपर वो गिरे. जैसा कि पहले भी NDTV ने रिपोर्ट की है, भारतीय वायुसेना के कुछ मिराज 2000 लड़ाकू विमान नियंत्रण रेखा पार कर उस ऊंचाई तक गए जहां विमान में लगे सिस्टम स्पाइस 2000 ग्लाइड बम को इलेक्ट्रॉनिक रूप से रिलीज कर देते. जिन वरिष्ठ अधिकारियों ने NDTV ने बात की उन्होंने स्पष्ट रूप से इस बात से इनकार किया कि स्पाइस 2000 ग्लाइड बम चूके हैं. वो कहते हैं कि वहां जो गड्ढों की बात की जा रही है, ये वो इलाके हो सकते हैं जहां कैंप के आतंकी इंप्रोवाइज एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) की ट्रेनिंग लेते हैं. वो कहते हैं कि स्पाइस 2000 क्रेटर नहीं छोड़ते अगर वो उन इलाकों में गिरते. इसके बजाय वहां टीले बन गए होंगे क्योंकि ये बम अपने लक्ष्य को भेदकर अंदर जाकर फटने के लिए डिजाइन किए गए हैं.
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वहीं इस हमले में कितने आतंकी मारे गए हैं इस पर ज्यादा विवाद चल रहा है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जहां 250 आतंकियों के मारे जाने की बात कह रहे हैं वहीं वायुसेना ने ऐसी किसी भी संख्या को पुष्टि से करने से इनकार दिया है. हालांकि न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार द नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (NTRO) का दावा है कि वायुसेना के हमलों से ठीक पहले जैश के कैंप के आसपास 300 से ज्यादा मोबाइल फोन एक्टिव थे. इन सारी बातों के बीच कई नवजोत सिंह सिद्धू जैसे बयान देकर अपनी ही पार्टी की फजीहत कराने में भी पीछे नही हैं. सिद्धू ने पूछा है, 'आतंकी मारने गए थे या फिर पेड़ उखाड़ने'. वहीं कांग्रेस से एक और नेता कपिल सिब्बल भी पूछा है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया स्ट्राइक पर सवाल उठा रहा है सरकार को इसके सबूत देने चाहिए.
सवाल इस बात है कि मोदी सरकार एयर स्ट्राइक के सबूत क्यों नहीं जारी कर रही है. क्योंकि इसी तरह साल 2016 में हुई सेना के जवानों की ओर से की गई सर्जिकल स्ट्राइक के सबूतों को लेकर भी खूब विवाद हुआ था और बाद में मोदी सरकार की सहमति से सबूत जारी किए गए थे. ऐसा लगता है कि मोदी सरकार ऑपरेशन बालाकोट के मुद्दे को गरमाए रखना चाहती है क्योंकि विपक्ष के नेता जितना सबूत मांगेगे उतनी ही बयानबाजी तेज होगी और इसका फायदा बीजेपी सरकार को लोकसभा चुनाव में भी मिल सकता है. हो सकता है कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कोई फुटेज जारी कर दे.
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